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आया सावन मन भावन, सज गए शिवालय

गया। भोले बाबा की विशेष आराधना के महीना सावन की शुरुआत बुधवार से हो रही है। इसको लेकर

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Jul 2019 02:22 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jul 2019 06:32 AM (IST)
आया सावन मन भावन, सज गए शिवालय
आया सावन मन भावन, सज गए शिवालय

गया। भोले बाबा की विशेष आराधना के महीना सावन की शुरुआत बुधवार से हो रही है। इसको लेकर शिवालय सज गए हैं। भोले बाबा के भक्त आज से महादेव की स्तुति में लीन हो जाएंगे। सावन भर शिवालय बम-बम भोले व हर-हर महादेव के जयकारों से गुंजायमान होते रहेंगे। शहर के प्रमुख शिव मंदिरों में दर्शन-पूजन की सारी तैयारिया कर ली गई हैं।

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सावन के आगमन के साथ शहर के शिवालयों में साफ-सफाई कर साज-सज्जा का काम पिछले कई दिनों से चल रहा था। मंगलवार को सारी तैयारिया पूरी कर ली गईं। रंगाई-पुताई के अलावा विशेष पूजा-अनुष्ठान की तैयारी की गई हैं। सावन के पहले दिन बुधवार भोर से शिवालयों में आस्था का सैलाब उमड़ेगा। शिवभक्त गंगाजल, दूध-दही, घी-शक्कर, बेलपत्र, भाग, धतूरा, दूब, श्रीफल आदि अपने आराध्य देव को अर्पित करने मंदिरों में पहुंचेंगे। बम-बम भोले के जयकारों से शिवालय गुंजायमान रहने का सिलसिला आज से शुरू होकर सावन भर चलता रहेगा।

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शहर में कई प्राचीन शिव मंदिर

शहर में कई प्राचीन शिव मंदिर हैं। मुख्यरूप से वृद्ध प्रपिता महेश्वर मंदिर, मार्कण्डेय मंदिर, फलकेश्वर नाथ शिवमंदिर, पितामहेश्वर महादेव मंदिर एवं रामशिला शिवमंदिर आदि प्रमुख हैं।

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शीतलता का प्रतीक सावन

सावन का महीना शीतलता का प्रतीक है। रिमझिम बारिश की फुहारों से प्रकृति हरी-भरी हो जाती है। इस महीने में भगवान शंकर की पूजा-अर्चना का भी विशेष महत्व है। भगवान शंकर विषपान किए थे इसलिए शीतलता उन्हें भाती है। सावन में श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं, जिससे भगवान शंकर खुश होते हैं। श्रद्धालु बेलपत्र, गंगाजल, दूध, दही, मधु के साथ जलाभिषेक करते हैं।

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मार्कण्डेय महादेव की पूजा

से शत्रु का होता है नाश

शहर की दक्षिणी दिशा में वैतरणी सरोवर के तट पर मार्कण्डेय महादेव का मंदिर है। शहर के प्रमुख शिवालयों में से एक है। पूरे सावन महीने में मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। मंदिर के पुजारी दिवाकर गिरि ने कहा कि मंदिर काफी प्राचीन है। इसमें काले पत्थर के शिवलिंग स्थापित हैं। इसकी पूजा-अर्चना से शत्रु का नाश होता है।

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महाबोधी मंदिर के

आकर का मंदिर

अक्षयवट पिंडवेदी के पास स्थित है वृद्ध प्रपिता महेश्वर मंदिर। मंदिर के गर्भगृह में काले पत्थर के शिवलिंग स्थापित है। इसमें भगवान भोलेनाथ की आकृति बनी है। मंदिर का आकर बोधगया स्थित महाबोधी मंदिर जैसा है। इसकी उचाई करीब 60 फीट है।

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फलकेश्वर नाथ शिवमंदिर

में स्थित हैं कई शिवलिंग

फल्गु नदी के पट ब्राह्माणी घाट पर स्थित है फलकेश्वर नाथ शिवमंदिर। यहां मंदिर परिसर में 51 शिवलिंग स्थापित हैं। मंदिर के पुजारी मुकेश कुमार वेद कहते हैं, मंदिर का निर्माण विष्णुपद मंदिर का निर्माण से पहले हुआ था। मंदिर के गर्भगृह 16 खंभे पत्थर के बने हैं। इसके बीच में मुख्य शिवलिंग स्थापित हैं। उन्होंने कहा सावन में फलकेश्वर नाथ की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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गुप्तकाल से स्थापित है शिवलिंग

शहर के मध्य भाग में स्थित है पितामहेश्वर मंदिर, जिसका गर्भगृह छोटा और संकरा है। इसमें काले पत्थर का शिवलिंग स्थापित है। मंदिर के पुजारी केदार बाबा कहते हैं, शिवलिंग की स्थापना गुप्तकाल में हुई थी। शहर के सबसे प्राचीन शिवलिंग है। शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने से शरीर का कष्ट दूर होता है।

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स्फटिक पत्थर से निर्मित शिवलिंग

शहर की उत्तर दिशा में रामकुंड के पास स्थिति है रामशिला शिवमंदिर। मंदिर के गर्भगृह में स्फटिक पत्थर के शिवलिंग स्थापित हैं। मंदिर के पुजारी दीपनारायण पांडे ने कहा कि मंदिर का निर्माण टिकारी के राजा गोपाल शरण ने करवाया था। स्फटिक पत्थर से निर्मित शिवलिंग देश में तीन स्थान पर हैं। इसमें एक गया, दूसरा जम्मू के रधुनाथ मंदिर और तीसरा रामेश्वरम में। लेकिन रामेश्वर में मात्र दो घंटे लिए पूजा-अर्चना को लेकर पट खोला जाता है।


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