साल खत्म, जिप के खाते में पड़ी रह गई राशि, योजनाएं शुरू नहीं
गया। जिला परिषद (जिप) में विकास की रफ्तार कछुए चाल में है। वित्तीय वर्ष 2018-19 खत्म हुए करीब डेढ़ म
गया। जिला परिषद (जिप) में विकास की रफ्तार कछुए चाल में है। वित्तीय वर्ष 2018-19 खत्म हुए करीब डेढ़ माह गुजर गए हैं। केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग से जिला मुख्यालय को मिली पांच करोड़ की राशि जिला परिषद की खाते में पड़ी रह गई। उस राशि का कोई उपयोग नहीं हुआ है।
सरकार से मिली राशि के उपयोग करने के लिए जिला पार्षदों ने साढ़े चार माह पहले बैठक कर कार्यो की योजना बनाई थी। उन पर सहमति भी बन गई थी। जिला पार्षद अपने-अपने क्षेत्र में विकास योजनाओं के लिए की सूची भी जिला परिषद अध्यक्ष के माध्यम से जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को सौंपी थी। योजनाओं के क्रियान्वयन करने के लिए प्रशासनिक स्वीकृति नहीं दी गई। नतीजा यह हुआ कि न तो जिला मुख्यालय से राशि निर्गत की गई और न ही योजनाओं का क्रियान्वयन हुआ।
जिला परिषद अध्यक्ष लक्ष्मी देवी ने कहा कि बीते वर्ष 2018-19 के लिए साढ़े चार माह पहले योजना चयनित कर दी गई है। मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी स्तर पर योजनाओं की स्वीकृति नहीं दी गई है। इस कारण से 18-19 वित्तीय वर्ष में एक भी योजना शुरू नहीं हो सकी है।
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आदर्श आचार संहिता के कारण नई योजना स्वीकृत नहीं की जा सकती
जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी किशोरी चौधरी ने कहा कि किसी भी वित्तीय वर्ष की योजना मेरे स्तर लंबित नहीं है। पार्षदों द्वारा जो भी योजनाएं दी गई थीं, सभी को प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है। वित्तीय वर्ष 2018-19 की बात है तो इसकी योजना नहीं मिली है। पूर्व में योजनाओं के लिए कनीय अभियंता ने अग्रिम राशि ली थी, उसका सदुपयोग कर उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले दो से तीन महीने से आदर्श आचार संहिता लगा हुआ है, इस कारण से कोई नई योजना स्वीकृत नहीं की जा सकती है।
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