कारगिल युद्ध में पैर खो देने वाले मेजर आज भी दौड़ रहे
कारगिल युद्ध में दुश्मनों से लड़ते हुए अपना पैर खो देने वाले एक मेजर हर चुनौतियों से जूझते हुए आज भी दौड़ रहे हैं। उन्होंने ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) के विजय ऑडिटोरियम में एनसीसी कैडेटों को कारगिल युद्ध के बारे में बताया।
गया । कारगिल युद्ध में दुश्मनों से लड़ते हुए अपना पैर खो देने वाले एक मेजर हर चुनौतियों से जूझते हुए आज भी दौड़ रहे हैं। उन्होंने ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) के विजय ऑडिटोरियम में एनसीसी कैडेटों को कारगिल युद्ध के बारे में बताया।
युद्ध में वीरता दिखाने वाले मेजर देवेंद्र पाल सिंह ने एनसीसी कैडेटों, आर्मी पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों और ओटीए परिवार के सदस्यों को बताया कि वे किस तरह पड़ोसी मुल्क के सैनिकों के हमले में गंभीर रूप से जख्मी हुए थे। एक गोला उनके ठीक चार-फीट की दूरी पर गिरा और छर्रे उनके शरीर में धंस गए। काफी खून बह गया था। उनके साथी उन्हें उठाकर अस्पताल ले गए। गंभीर रूप से जख्मी होने और अपना दाहिना पैर गंवाने के बाद भी उन्होंने जिंदगी से हार नहीं मानी। आज वे कृत्रिम पैरों की मदद से दौड़ने वाले भारत के अग्रणी ब्लेड रनर हैं। कई बार ऐसे मौके आए, जब दौड़ते वक्त पीड़ा हुई। लेकिन हार नहीं मानी। वे ऐसे लोगों के लिए एक संस्था चला रहे हैं, जिन्होंने किसी वजह से पैर गंवा दिया हो। ऐसे लोगों को कृत्रिम अंगों के जरिए धावक बनने की प्रेरणा दे रहे हैं। इस मौके पर ब्रिगेडियर सुधीर कुमार, कमाडिंग ऑफिसर कर्नल जयेश के अर्धवायू, कमाडिंग ऑफिसर कर्नल दीपचंद, एडम अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल हरनेक सिंह, मेजर अंजू यादव आदि मौजूद थे।