ब्रज भाषा से मगही व ¨हदी में गया की मनीषियों ने दर्ज कराई उपस्थिति
जागरण संवाददाता, गया : गया के साहित्य की परंपरा काफी पुरानी है। 14वीं शताब्दी से लेकर आज तक साहित
जागरण संवाददाता, गया : गया के साहित्य की परंपरा काफी पुरानी है। 14वीं शताब्दी से लेकर आज तक साहित्य मनीषियों ने अपनी रचनाओं से साहित्य में विशेष स्थान बनाया है। ब्रज भाषा से लेकर मगही और हिंदी में यहां के मनीषियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
यह बातें ¨हदी दिवस के अवसर पर शनिवार को जागरण कार्यालय में आयोजित संगोष्ठी में महान साहित्यकार मोहन लाल वियोगी के पुत्र गोपाल लाल महतो ने कहीं। उन्होंने जानकी वल्लभ शास्त्री, मोहन लाल वियोगी, हंस कुमार तिवारी सहित कई साहित्यकारों की रचनाओं पर प्रकाश डाला। वहीं, गया की महिला साहित्यकारों में अपने संक्षिप्त लेखन से स्थान बनाने वाली रेणुका पालित ने कहा उन्हें अपने अभिभावक के रूप में गोवर्द्धन प्रसाद सहसा याद आते हैं। जिन्होंने गया में साहित्य के विभिन्न आयामों के साथ अपनी लेखनी को रचा। अंग्रेजी की प्राध्यापिका कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने कहा कि अंग्रेजी पढ़ाना उनका पेशा है, लेकिन ¨हदी साहित्य और साहित्यकारों के प्रति आपार श्रद्धा है। आज संगोष्ठी में उपस्थित होकर गया के साहित्य, साहित्यकार और उनकी रचनाओं को जान आपार हर्ष हुआ है। युवा कवि अरुण हरलीवाल ने कहा कि ¨हदी राजभाषा के दर्जा के बावजूद ¨हदी को वह स्थान प्राप्त नहीं हुआ जिसकी वह हकदार है। समाज के हर वर्ग को आगे आकर ¨हदी को उचित स्थान दिलाना होगा। रविंद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि सत्य साधना के बाद एक साहित्यकार अपनी रचना लोगों के सामने लाता है। उनकी साधना की स्मृतियों को स्मरण करके अपने अपको धन्य मानता हूं। साहित्कार सुमंत ने कहा साहित्यिक मनीषियों की स्मृति में मैं अपने लिए जीवन के सकारात्मक मार्ग ढ़ूढ़ लेता हूं। ¨हदी दिवस पर हमें ईमानदारी से ¨हदी के प्रति अपनी साथर्कता को उजागर करना होगा। इस संगोष्ठी में साहित्यिक विधा से जुड़े संजीत कुमार, मुद्रिका सिंह, सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र, प्यारचंद कुमार मोहन और नितू गुप्ता ने कहा कि ¨हदी दिवस पर साहित्य मनीषियों की स्मृतियों को स्मरण कर हम उन महान विभूतियों को श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं, जिनकी लेखनी आज भी अपनी पाठकों को संबल और आनंद प्रदान करती है। संगोष्ठी में शामिल युवा दीपक कुमार सिंह, पुरुषोत्तम कुमार, सुरज राउत, विशाल राज, मुकेश कुमार, मनीष कुमार मिश्र ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। संगोष्ठी के समापन पर गोपाल लाल महतो ने इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने के लिए दैनिक जागरण की प्रशंसा की।