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आधुनिक विकास से दूर एक गांव ऐसा भी है

आलोक रंजन, टिकारी उबड़-खाबड़ रास्ते, न चिकित्सा सुविधा और न ही विद्यालय, यही है खनेटू पंचायत के

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 07:06 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 07:06 PM (IST)
आधुनिक विकास से दूर एक गांव ऐसा भी है

आलोक रंजन, टिकारी

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उबड़-खाबड़ रास्ते, न चिकित्सा सुविधा और न ही विद्यालय, यही है खनेटू पंचायत के सोहर बिगहा गांव की पहचान। आजादी के बाद से ग्रामीण विकास के लिए तरस रहे हैं। ग्रामीणों ने कभी भी मजबूती से सुविधाओं की मांग नहीं की तो जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने भी इस गांव के विकास पर ध्यान देने की जरूरत महसूस नहीं की। और तो और सरकारी रिकॉर्ड में इसे गाव का भी दर्जा प्राप्त नहीं है। आज भी लोग इसे रूपसपुर के एक टोला के रूप में जानते हैं। प्रखंड मुख्यालय से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित सोहर बिगहा में सत्तर घर हैं, जिनमें 350 लोग रहते हैं।

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सड़क के नाम पर पगडंडी : इच्छापुर गुरारू मुख्य पथ से पश्चिम लगभग एक किमी की दूरी पर यह गांव अवस्थित है। आजादी के दशकों बाद भी इस गाव को पक्की सड़क नसीब नहीं हुआ है। कच्ची सड़क बनी भी है तो मुख्य सड़क के पास पईन में नकटी पुल टूटे होने के कारण एक दशक से अधिक समय से अनुपयोगी है। ग्रामीण पगडंडी से होकर एक-दूसरे गांवों को जाते हैं। बारिश में चार माह जलजमाव होने के कारण लोगों का कहीं आना-जाना नहीं हो पाता है।

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मरीज को खाट पर लाद

ले जाना पड़ता है अस्पताल

ग्रामीण कहते हैं, जब कोई बीमार पड़ता है तो मरीज को खाट पर लादकर छह किमी दूर पंचानपुर या फिर आठ किमी दूर टिकारी लाया जाता है। हालाकि, पास में महमदपुर में उपस्वास्थ्य केंद्र है, परंतु सरकारी लापरवाही के कारण वो सिर्फ कागजों पर संचालित है।

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विद्यालय नहीं

ग्रामीण बताते हैं, यह क्षेत्र जब बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में था तब वहां के विधायक से और वर्ष 2005 से जब यह टिकारी विधानसभा क्षेत्र में शामिल हुआ तो यहा के विधायक से गांव में विद्यालय खोलने की मांग कर रहे हैं। लेकिन आज तक किसी ने नहीं सुनी। गांव के बच्चे डेढ़ किमी दूर पैदल चलकर रूपसपुर मध्य विद्यालय में जाकर पढ़ते हैं। बरसात के महीनों में स्कूल पहुंचने में काफी परेशानी होती है। छोटे बच्चे तो स्कूल जाने से कतराते रहते हैं।

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पानी से घिरा है आगनबाड़ी

और ट्यूबवेल केंद्र

गाव में सरकारी भवन के नाम पर मात्र एक आगनबाड़ी केंद्र और सामुदायिक भवन है। वर्ष 2014 में निर्मित आगनबाड़ी केंद्र और ट्यूबवेल केंद्र के चारों तरफ पानी का जमाव है, जिस कारण पूर्ण रूप से बंद है। आगनबाड़ी केंद्र के बच्चे समीप स्थित सामुदायिक केंद्र के प्रागण में पढ़ाई करते हैं। पाइप फटे होने के कारण वर्ष 2000 से ट्यूबवेल से सप्लाई बंद है। सामुदायिक भवन का महज ढाचा तैयार है। भवन में खिड़की एवं दरवाजे तक नहीं लगे हैं।

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जल निकासी की सुविधा नहीं

गाव में जल निकासी के लिए नाली का भी निर्माण नहीं हुआ है। घरों का गंदा पानी आसपास ही बहते हैं। गाव की गली कई गली दलदल बन चुकी है। वर्षो पहले तीन सौ फीट का खरंजा सड़क का निर्माण कराया गया था, जो अब अस्तित्व में नहीं है।

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मुख्य पेशा कृषि और पशुपालन

ग्रामीणों का मुख्य पेशा कृषि और पशुपालन है। ग्रामीण अनाज और दुग्ध उत्पाद पंचानपुर और टिकारी में बेच कर अपना घर परिवार चलाते हैं।

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दो लोग सरकारी नौकरी में

अभावग्रस्त गांव से मात्र दो लोग ही सरकारी नौकरी में हैं। गाव के अरविंद कुमार नेवी में सेवारत थे। अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वहीं, उपेंद्र कुमार सेना में सेवारत हैं। इस गांव के पांच लोग स्नातक पास कर निजी कंपनी में नौकरी कर रहे हैं।

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उपलब्ध सुविधाएं

ग्रामीणों को पेयजल सुविधा के लिए पांच सरकारी चापाकल है। वर्ष 2015 में गाव का विद्युतीकरण हुआ। आज लगभग सभी घरों तक बिजली पहुंच चुकी है। चालीस घरों में विद्युत विभाग द्वारा मीटर लगाया जा चुका है, शेष प्रक्रियाधीन है। सरकारी भवन के नाम पर आगनबाड़ी केंद्र और सामुदायिक भवन है।

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गाव के लिए कई

योजनाएं प्रस्तावित

मुखिया रूबी कुमारी कहती हैं, सोहर बिगहा गाव के लिए कई योजनाएं प्रस्तावित है। इनमें शिव कुमार यादव के घर से देवी स्थान तक पंचायत की राशि से तीन सौ फीट नाली का निर्माण, फेवर पथ एवं मिट्टी की भराई होगी। मनरेगा से देवी स्थान से लेकर राजबली यादव के घर तक तक पांच सौ फीट नाली एवं खरंजा का निर्माण, सामुदायिक भवन का जिर्णोद्धार, मनरेगा से नकटी पुल का निर्माण, मनरेगा से ही आगनबाड़ी केंद्र तक जाने के रास्ते में मिट्टी भराने की योजना प्रस्तावित है। बरसात के बाद कार्य शुरू किए जाएंगे। उन्होंने ने बताया कि मुख्यमंत्री सड़क योजना से जोड़ने का आश्वासन क्षेत्रीय विधायक अभय कुशवाहा द्वारा दिया गया है।

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सड़क के लिए कई बार सरकारी बाबुओं से गुहार लगाई पर आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। सड़क नहीं होने से ग्रामीण खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं।

-परमेश्वर यादव, ग्रामीण

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गांव में विद्यालय न होने से ज्यादातर बच्चे शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते हैं। सड़क भी नहीं है। इस कारण अन्य गांव पढ़ने के लिए जाने से लोग कतराते हैं।

योगेंद्र कुमार, ग्रामीण

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गांव ही पूरा समस्या से घिरा है। कोई भी अधिकारी सुध लेने तक नहीं आते हैं। आइटी युग में भी लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।

सविता देवी, सदस्य, ग्रामीण महिला एवं जीविका समूह

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हमारे बच्चे इस जमाने में भी अनपढ़ हैं। गांव के विकास पर कोई ध्यान ही नहीं देता है। वोट लेने के समय चाची, दादी कहते हैं, लेकिन जीतने के बाद में कोई देखने तक नहीं आता।

कईल देवी, ग्रामीण


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