Move to Jagran APP

पति के दीर्घायु होने की कामना के साथ महिलाओं ने रखा हरतालिका तीज व्रत

मोतिहारी। भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि बुधवार को निर्जल उपवास रहकर व्रती महिलाओं ने भगवा

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 11:16 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 11:16 PM (IST)
पति के दीर्घायु होने की कामना के साथ महिलाओं ने रखा हरतालिका तीज व्रत
पति के दीर्घायु होने की कामना के साथ महिलाओं ने रखा हरतालिका तीज व्रत

मोतिहारी। भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि बुधवार को निर्जल उपवास रहकर व्रती महिलाओं ने भगवान शंकर व माता पार्वती की पूजा-अर्चना की। इसको लेकर शहर के विभिन्न शिवालयों में महिलाओं ने अखंड सौभाग्य के साथ पति के दीर्घायु होने की कामना की। पूजा के दौरान पंडित दिनेश्वर ओझा ने व्रतियों को तीज व्रत की कथा सुनाई। पंडित श्री ओझा ने कहा कि एक बार भगवान शिव ने पार्वती जी को उनके पूर्व जन्म का स्मरण कराने के उद्देश्य से हरतालिका तीज व्रत के माहात्म्य की कथा कही थी। भगवान शंकर ने पार्वती जी से कहा- एक बार जब तुमने हिमालय पर्वत पर जाकर गंगा के किनारे, मुझे पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। उसी घोर तपस्या के समय नारद जी हिमालय के पास गए और कहा की भगवान विष्णु आपकी कन्या के साथ विवाह करना चाहते है। नारद की इस बनावटी बात को तुम्हारे पिता ने स्वीकार कर लिया, तत्पश्चात नारद जी विष्णु के पास गए और कहा कि आपका विवाह हिमालय ने पार्वती के साथ करने का निश्चय कर लिया है। आप इसकी स्वीकृति दें। नारद जी के जाने के पश्चात पिता हिमालय ने तुम्हारा विवाह भगवान विष्णु के साथ तय कर दिया है। यह जानकर तुम्हें, अत्यंत दु:ख हुआ और तुम विलाप करने लगी। एक सखी के विलाप का कारण पूछने पर तुमने पुरा वृतांत सुनाया कि मैं भगवान शंकर के साथ विवाह करने के लिए कठिन तपस्या प्रारंभ कर रही हूं। मेरी कुछ सहायता करों। सखी ने सांत्वना देते हुए कहा- मैं तुम्हें ऐसे वन में ले चलूंगी की तुम्हारे पिता को पता न चलेगा। इस प्रकार तुम सखी के साथ घने जंगल में गई। इधर तुम्हारे पिता ने घर में इधर-उधर खोजने पर जब तुम्हें न पाया तो बहुत ¨चतित हुए, क्योकि नारद से विष्णु के साथ विवाह करने की बात वो मान गये थे। वचन भंग की चिन्ता नें उन्हें मूर्छित कर दिया। इधर सखी सहित तुम सरिता किनारे की एक गुफा में मेरे नाम की तपस्या कर रही थी। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को उपवास रहकर तुमने शिव¨लग पूजन तथा रात्रि जागरण भी किया। इससे मुझे तुरंत तुम्हारे पूजन स्थल पर आना पड़ा। तुम्हारी मांग और इच्छा के अनुसार तुम्हें, अर्धांगिनी रूप में स्वीकार करना पड़ा। प्रात: बेला में जब तुम पूजन सामग्री नदी में छोड़ रही थी तो उसी समय हिमालय राज उस स्थान पर पहुंच गए। वे तुम्हें लेकर घर आए और शास्त्र विधि से तुम्हारा विवाह मेरे साथ कर दिया। उस दिन जो भी स्त्री इस व्रत को परम श्रद्वा से करेगी, उसे तुम्हारे समान ही अचल सुहाग मिलेगा। तीज व्रत कथा के लाभ

loksabha election banner

हरितालिका तीज का व्रत भाद्रपद शुक्ल तृतीया को शिव और पार्वती के पुर्नमिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां पार्वती ने 107 जन्म लिए थे कल्याणकारी भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए। अंतत: मां पार्वती के कठोर तप के कारण उनके 108 वें जन्म में भोले बाबा ने पार्वती जी को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया था। हरितालिका तीज का व्रत करने से मां पार्वती प्रसन्न होकर पतियों की लम्बी उम्र का आशीर्वाद देती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.