तो साजिश के तहत हुई आंदोलनकारियों पर प्राथमिकी
शहर के प्रधान पथ में सालों से कायम जाम की समस्या के बीच कोइरिया टोला के पास नागा रोड के एक युवक के अपंग होने के बाद मुख्य पथ पर धरना दे रहे लोगों पर हुई प्राथमिकी को लेकर कई सवाल खड़े किए गए हैं।
रक्सौल । शहर के प्रधान पथ में सालों से कायम जाम की समस्या के बीच कोइरिया टोला के पास नागा रोड के एक युवक के अपंग होने के बाद मुख्य पथ पर धरना दे रहे लोगों पर हुई प्राथमिकी को लेकर कई सवाल खड़े किए गए हैं। सवाल आंदोलनकारियों ने उठाए हैं। इस सिलसिले में रमेश कुमार ¨सह ने सूबे के पुलिस महानिदेशक, जिला व सत्र न्यायाधीश, पुलिस महानिरीक्षक मुजफ्फरपुर, पुलिस उप महानिरीक्षक चंपारण रेंज बेतिया, पुलिस अधीक्षक, पूर्वी चंपारण एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी को आवेदन भेजा है। आवेदन में श्री ¨सह ने दावा किया है- ''स्थानीय प्रशासन द्वारा आनन-फानन में समाजसेवियों को फंसाने के नियत से झुठा एवं मनगठंत ढंग से आधारहीन प्राथमिकी दर्ज कराकर अपने अवैध कार्यो पर पर्दा डालने का प्रयास किया गया है। इसकी जांच शहर में लगे सीसीटीवी कैमरा के जांचोपरांत स्पष्ट हो जाएगी। मेरा मानना है कि घटनास्थल पर वे कभी आए नहीं तो फिर किस परिस्थिति में उनके आदेशों का अवहेलना हुआ। वे अपने कार्यालय कक्ष में अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन किए है जो कार्यालय में लगे सीसी कैमरा से स्पष्ट हो जाएगा। इस प्रकार वे साजिशन मनगढ़ंत प्राथमिकी दर्ज करा समाजसेवियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे है।'' इसके अतिरिक्त यह भी कहा है कि घटना के दिन न तो आंदोलन समाप्त कराया गया। नहीं इस दिन प्राथमिकी ही दर्ज हुई। प्राथमिकी चार दिन बाद न्यायालय पहुंचने का क्या औचित्य है। साथ ही वादी अंचलाधिकारी हेमेंद्र कुमार रक्सौल का स्थायी या वर्तमान पता स्पष्ट नियमानुसार प्राथमिकी में दर्ज नहीं है।