तीज व्रत से मिलता है अखंड सौभाग्यवती का वरदान
मोतिहारी। तीज व्रत को लेकर आज महिलाएं निर्जला रहकर भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना करेंगी। इससे पूर्व रविवार को नहाय खाए के साथ पूजन सामग्री की खरीदारी की।
मोतिहारी। तीज व्रत को लेकर आज महिलाएं निर्जला रहकर भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना करेंगी। इससे पूर्व रविवार को नहाय खाए के साथ पूजन सामग्री की खरीदारी की। यह व्रत भाद्रपद के शुक्लपक्ष तृतीया को हस्त नक्षत्र में सोमवार को किया होगा । इसे गौरी तृतीया, गौरी निर्जला व्रत भी कहा जाता है। इसकी जानकारी आचार्य धनंजय शास्त्री ने दी। शास्त्रों में कहा गया है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए यह व्रत किया था। इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्यवती का वरदान मिलता है। इस व्रत की महत्ता के संबंध में भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाया था। जिसमें उन्होंने मां पार्वती के पिछले जन्म का याद दिलाया था। जिसमें बताया था कि शिव को पाने के लिए छोटी उम्र में कठोर तप और घोर तपस्या की थी। उस समय आपने भीषण गर्मी और कड़ाके के ठंड में भी अन्न, जल का त्याग कर दिया था। जिसे देखकर माता पार्वती के पिता बहुत ही दु:खी थे। तब नारदजी उनके पिता के पास पहुंच भगवान विष्णु से शादी की बात की थी। जिसपर भगवान विष्णु मान गए थे। लेकिन जब माता पार्वती अपनी शादी की बात सुनी तो मन ही मन दु:खी हो गई। क्योंकि उन्होंने अपने लिए भगवान शिव का वरण किया था। इसे अपने सहेलियों को बताया। जिसके बाद अपने सहेलियों की बात मानकर माता पार्वती इच्छानुसार वर को पाने के लिए घनघोर जंगल में पहुंच बारह वर्ष तक कठोर तपस्या की थी। जिसके लिए उन्होंने रेत के शिवलिग की स्थापना की। संयोग से हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया का वह दिन था जब माता पार्वती ने शिवलिग की स्थापना की। निर्जला उपवास रखते हुए उन्होंने रात्रि में जागरण भी किया। उनके कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए माता पार्वतीजी को उनकी मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया। तभी से महिलाएं इस व्रत को करती आ रही है। बाजार में चहलपहल तीज व्रत के दिन महिलाएं नए-नए वस्त्र धारण कर व सोलह श्रृंगार करती है। इसके बाद पूजा-अर्चना करती है। जिसमें विविध प्रकार के फल-फूल, वस्त्र आदि चढ़ाती है। इसको लेकर सीमावर्ती शहर में श्रृंगारिक, पूजा-पाठ, कपड़ा आदि दुकानों में चहल-पहल दिखा। अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न गांवों के साथ-साथ नेपाल के बारा व पर्सा जिला के विभिन्न गांवों व शहरों से लोग खरीदारी को पहुंचे थे।