शिक्षकों की कमी से पठन-पाठन बाधित, स्कूल भवन भी जर्जर
मोतिहारी। सरकारी विद्यालयों में शिक्षा को बेहतर बनाने एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए कई तरह की योजनाएं चल रही हैं। जिसका लाभ लेकर बच्चे शिक्षित हों और अपना भविष्य बना सकें।
मोतिहारी। सरकारी विद्यालयों में शिक्षा को बेहतर बनाने एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए कई तरह की योजनाएं चल रही हैं। जिसका लाभ लेकर बच्चे शिक्षित हों और अपना भविष्य बना सकें। इसके लिए मध्याह्न भोजन, खेलकूद सामग्री, विद्यालयों में पेयजल, बिजली, भवन आदि की सुविधा प्रदान कर रही है। वास्तव में इन उपलब्ध संसाधनों के बीच बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है या नहीं इसकी पड़ताल में दैनिक जागरण की टीम मंगलवार को रक्सौल के आर्यसमाज रोड स्थित आर्य समाज मध्य विद्यालय पहुंची। विद्यार्थी अपने वर्ग में पढ़ रहे थे। वर्ग में छात्र-छात्राओं की उपस्थित कम थी। लेकिन सभी बच्चे स्कूल ड्रेस में थे। सबसे पहले टीम स्कूल के कार्यालय में पहुंची। प्रधानाचार्य सह निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी बैकुंठ बिहारी सिंह वर्ग छह में बच्चों को पढ़ा रहे थे। उन्होंने पूछे जाने पर बताया कि स्कूल में नामांकित बच्चों की संख्या 506 है। वहीं उपस्थित बच्चों की संख्या 169 थी। स्कूल में शिक्षकों की संख्या छह है। जिसमें पांच शिक्षक उपस्थित थे। एक शिक्षक सीएल पर थे। बताया कि सरकारी मानक के अनुसार बच्चों के अनुपात में शिक्षकों की संख्या कम है। वहीं कुछ भवनों की स्थिति जर्जर है। जो वर्ग संचालन के समय छत का अवशेष टूट-टूटकर गिरता रहता है। साथ ही बरसात के दिनों में छत से पानी टपकता है। जिसे पठन-पाठन का कार्य बाधित हो जाता है। वहीं पेयजल के लिए दो चापाकल है। जिसमें एक से पीला पानी निकलता है। जिसे केवल बर्तन साफ-सफाई करने का कार्य किया जाता है। दूसरा ठीक है। जिसपर एमडीएम के समय पीने के पानी के लिए बच्चों की भीड़ जमा हो जाती है। इसकी सूचना बीआरसी को दे दी गई है। लेकिन, अभीतक सुधार नहीं हो सका है। शौचालय के विषय में बताया कि लड़कियों के लिए है। लेकिन लड़कों का शौचालय वर्षो से क्षतिग्रस्त है। विद्यालय में चारदीवारी व गेट है। इसके बाद टीम वर्ग आठ में पहुंची। जहां एक छात्र से पूछा कि किस वर्ग में पढ़ते है। तो बताया ऐट, फिर स्पेलिग पूछने पर सही-सही जवाब दिया। इसके बाद मनुष्य सांस में क्या लेता है तो बताया ऑक्सीजन और छोड़ता कार्बनडाईआक्साइड है। इसके बाद उसी वर्ग के वीर कुमार ने वर्ग आठ के सभी विषयों का नाम बताया। फिर संस्कृत में मैं भात खाता हूं का संस्कृत अनुवाद नहीं कर सका। इसके बाद अंग्रेजी में नाऊन, पर्सन, पार्ट्स ऑफ स्पीच आदि के विषय में सही-सही बताया। तब टीम वर्ग सात में पहुंची। वर्ग की छात्रा से पूछा कि आप किस जिले में रहती है, तो बताई पूर्वी चंपारण। लेकिन जिलाधिकारी का नाम पूछा गया तो कुछ भी नहीं बता सकी। विद्यालय में खेलकूद सामग्री है।
कहते हैं प्रधानाचार्य
प्रधानाचार्य सह निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी बैकुंठ बिहारी सिंह ने बताया कि नामांकित छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की आवश्यकता है। जिसे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिया जा सकें। इसके साथ ही विद्यालय में अतिरिक्त शौचालय की आवश्यकता है। साथ ही उन्होंने बताया कि खेलकूद सामग्री की खरीदारी के लिए राशि प्राप्त हो चुका है। जल्द ही इसकी खरीदारी कर ली जाएगी।