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कॉलेज से लेकर स्कूल तक हंगामा, पुलिस को करना पड़ा हस्तक्षेप

मोतिहारी। स्नातक कक्षा के द्वितीय एवं तृतीय खंड का परीक्षा फॉर्म भरने की आपाधापी समाप्त होने का नाम

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Dec 2017 01:36 AM (IST)Updated: Sat, 16 Dec 2017 01:36 AM (IST)
कॉलेज से लेकर स्कूल तक हंगामा, पुलिस को करना पड़ा हस्तक्षेप
कॉलेज से लेकर स्कूल तक हंगामा, पुलिस को करना पड़ा हस्तक्षेप

मोतिहारी। स्नातक कक्षा के द्वितीय एवं तृतीय खंड का परीक्षा फॉर्म भरने की आपाधापी समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है। इसके लिए विद्याíथयों को कई तरह की समस्याओं से जुझना पड़ रहा है। जो भी समस्याएं हैं वे विश्वविद्यालय से जुड़ी हुई हैं, मगर कॉलेज को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। महिला कॉलेज की घटना की इसी का परिणाम है। हालात को देखते हुए इस कार्य में भी पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। डॉ. श्रीकृष्ण ¨सह महिला कॉलेज में शुक्रवार को पुलिस को पूरे दिन निगरानी करनी पड़ी। मुख्य द्वार से लेकर परिसर के अंदर तक इनकी तैनाती की गई थी। फॉर्म भरने का काम काफी मुस्तैदी से किया जा रहा था। बता दें कि फॉर्म भरने को लेकर महिला कॉलेज में गुरुवार की शाम जमकर हंगामा एवं तोड़फोड़ की गई थी। प्राचार्य कक्ष को भी निशाना बनाया गया था। वहीं, शुक्रवार को जिला स्कूल भी हंगामा का केंद्र बना। निर्धारित परीक्षा शुल्क से अधिक राशि लेने के आरोप लगाए गए। छात्रों ने जमकर बवाल काटा। ऐसा नहीं है कि यह शिकायत केवल जिला स्कूल से है। प्रत्येक वर्ष परीक्षा शुल्क में मनमानी के आरोप विद्यालयों में लगते रहे हैं। कई बार स्थिति विस्फोटक भी बन जाती है।

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अंक पत्र के लिए भी आपाधापी : जहां तक कॉलेज में तृतीय खंड का फॉर्म भरने की बात है तो उसके लिए जरूरी है कि पहले एवं दूसरे खंड से संबंधित उत्तीर्णता का अंक पत्र चाहिए। जबकि कई छात्रों के परीक्षा परिणाम अब तक लंबित हैं। पार्ट टू का कई महाविद्यालयों में टीआर तक नहीं आया है। अंक पत्र के लिए विद्याíथयों को कॉलेज का चक्क्रर लगाना पड़ रहा है। जबकि इस समस्या का निदान विश्वविद्यालय स्तर पर होना है। यह समस्या करीब-करीब सभी कॉलेजों की है। दिक्कत यह भी है कि कई विद्याíथयों के अंक टीआर में हैं तो अंकपत्र में नहीं, अंक पत्र में हैं तो टीआर में नहीं। कई ऐसे विद्यार्थी भी हैं जब जिनका पिछले खंडों का परिणाम लंबित हैं। ऐसे में वे क्या करें, समझ से परे है। इसके लिए अपने कॉलेज, पिछले परीक्षा केंद्र से लेकर विश्वविद्यालय तक का चक्कर लगाना है। यह सबके बस की बात नहीं है।

परिणाम लंबित रखने का खेल : यह भी कहा जाता है कि प्रत्येक परीक्षा में कुछ परिणाम को जानबूझ कर लंबित रखा जाता है। इस खेल का लाभ बिचौलियों से लेकर विश्वविद्यालय के संबंधित कर्मी खूब उठाते हैं। सभी पत्रों की परीक्षा में उपस्थिति के बाद भी विश्वविद्यालय स्तर पर परीक्षार्थी को अनुपस्थित दिखाकर परिणाम को बाधिक करना भी इस खेल का हिस्सा है। इस बात को लेकर विश्वविद्यालय में कई बार हंगामा हो चुका है। इसका खामियाजा संबंधित छात्रों एवं कॉलेज को भुगतना पड़ता है। जिले में ऐसे हजारों विद्यार्थी हैं जो इस समस्या से परेशान हैं। गत 11 दिसंबर को एमएस कॉलेज के स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने आए कुलपति डॉ. अमरेंद्र नारायण यादव ने भी पत्रकारों से बातचीत करते हुए इस समस्या से सहमति जताई थी। कहा था कि इसके लिए हम ठोस कदम उठाने जा रहे हैं।

एमएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. हरिनारायण ठाकुर ने बताया कि यह समस्या आज आम है। सभी कॉलेजों के विद्यार्थी इससे परेशान हैं। कॉलेज स्तर से परिणाम क्लीयर कराने के लिए विश्वविद्यालय से लगातार संपर्क किया जा रहा है। यह छात्रों के भविष्य के लिए ठीक नहीं है। इससे असंतोष बढ़ रहा है।

वीमेंस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विजयेंद्र नारायण ने बताया कि तीसरे खंड का परीक्षा फॉर्म भरने के लिए जरूरी है कि पिछले दोनों खंड में उत्तीर्णता हो। मगर कई छात्राओं का परिणाम लंबित है। टीआर और अंक पत्र में भी अंतर है। इससे परेशानी हो रही है। विद्यार्थी भी परेशान हैं। कॉलेज को नाहक निशाना बनाया जा रहा है।

पीयूपी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. कर्मात्मा पांडेय ने बताया कि परिणाम के लंबित होने से न सिर्फ असंतोष बढ़ रहा है, बल्कि छात्रों का भविष्य भी दांव पर है। करीब-करीब प्रत्येक वर्ष ऐसी स्थिति बनती है। मगर विश्वविद्यालय स्तर पर इस दिशा में कदम उठाया गया है। इसको लेकर फॉर्म भरने की तिथि भी बढ़ाई गई है।


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