राष्ट्रीय एकता-अखंडता का परिचायक है संस्कृत
मोतिहारी । संस्कृत भाषा राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता का परिचायक है। विश्व में बोली जाने वाली प्राय: सभी
मोतिहारी । संस्कृत भाषा राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता का परिचायक है। विश्व में बोली जाने वाली प्राय: सभी भाषाओं की उत्पत्ति संस्कृत से ही हुई है। उक्त बातें रविवार को स्थानीय महार्षिनगर स्थित आर्ष विद्या शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (वेद विद्यालय) के सभागार में आयोजित उपाकर्म सह संस्कृत दिवस समारोह की अध्यक्षता कर रहे प्रो. रामनिरंजन पांडेय ने व्यक्त कही। उन्होंने कहा कि संस्कृत हमारे देश की पहचान है। इसका जुड़ाव हमारी संस्कृति से है। वहीं, संस्थान के प्राचार्य सुशील कुमार पांडेय ने श्रावणी उपाकर्म के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसमें सामूहिक गण स्नान से ज्ञात-अज्ञात समस्त पापों का नाश हो जाता है। श्रावणी संस्कार निर्माण तथा ब्रह्मांड के सभी जीव ही नहीं बल्कि लता, वृक्ष एवं वनस्पति आदि के निमित तर्पण कर ऋषि पूजन किया जाता है। कार्यक्रम में डॉ. ब्रजेश्वर मिश्र, डॉ. कर्मात्मा पांडेय, पूर्व न्यायाधीश ध्रुवदेव पांडेय, डॉ. दीपनारायण मिश्र, रौशन राणा, सुधीर दत्त पराशर, विकास पांडेय, राजन पांडेय, कुंदन पाठक आदि ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए। इसके उपरांत दूध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र, मिट्टी, भस्म, चिचिड़ा, कुशा, दूर्वा आदि से दशविद्या स्नान के बाद तर्पण, ऋषि पूजन, वेद पूजन, यज्ञोपवीत प्रतिष्ठा, रूद्राभिषेक आदि का अनुष्ठान संपन्न कर रक्षा बंधन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संचालन रूपेश कुमार ओझा एवं धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य सुशील कुमार पांडेय ने किया। मौके पर सुधाकर पांडेय, राज नारायण मिश्र, अरूण तिवारी, डॉ. सुनील उपाध्याय, नरेंद्र झा, मदन ठाकुर, जयंत मिश्र, श्याम किशोर उपाध्याय, शैलेंद्र गिरि, उत्पल कुमार, पवन कुमार दुबे आदि मौजूद थे।