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जोखिम का आकलन कर तय हो रही बीमा की दर : राधामोहन

केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री राधामोहन ¨सह ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा है कि राज्यों व संघ शासित क्षेत्रों द्धारा कृषि क्रियाकलापों, मौसमी दशाओं व उपज जोखिमों को देखते हुए जिलों का समूहीकरण किया गया है।

By Edited By: Published: Fri, 29 Jul 2016 01:49 AM (IST)Updated: Fri, 29 Jul 2016 01:49 AM (IST)

मोतिहारी । केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री राधामोहन ¨सह ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा है कि राज्यों व संघ शासित क्षेत्रों द्धारा कृषि क्रियाकलापों, मौसमी दशाओं व उपज जोखिमों को देखते हुए जिलों का समूहीकरण किया गया है। इस समूह के आधार पर बीमा कंपनियों से टेंडर प्रक्रिया द्वारा बीमा प्रीमियम दर मांगी गई है। जहां तक बीमा कंपनियों द्धारा प्रीमियम दर की बोली लगाने का सवाल है तो ये बीमा कंपनियां जोखिम का विशलेषण कराके बोली के लिए प्रीमियम दर का निर्धारण करती हैं। यह दर पिछले 10 वर्षों के फसल नुकसान के आंकड़ों पर निर्भर करती है और राज्यों व संघ शासित क्षेत्रों ने सभी वर्षों के लिए न्यूनतम स्तर तक की उपज के आंकडे बीमा कंपनियों को उपलब्ध कराए हैं, ताकि जोखिम का सही विश्लेषण हो सके। इस प्रकार बीमा कंपनियों द्धारा अलग-अलग राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों के अलग-अलग जिलों के समूह पर वहां के जोखिम का आंकलन कर अलग-अलग प्रीमियम दर की बोली लगाई गई है। कहा कि उत्तर प्रदेश में विभिन्न जिला समूहों में बीमा कंपनियों द्धारा औसतन न्यूनतम प्रीमियम दर 2.46 से 6.91 फीसद तक बोली लगाई गई है। बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में औसतन न्यूनतम प्रीमियम दर 10.34 से 17.03 फीसद तक के बीच है, इसी तरह गुजरात और महाराष्ट्र में क्रमश: 9.40 से 14.10 फीसद तक और 12.58 से 29.37 फीसद तक औसतन न्यूनतम प्रीमियम दर की बोली लगाई गई है। बीमा कंपनियों के चयन की निविदा राज्य सरकार ही आमंत्रित करती है जो पूर्णत: पारदर्शी है और केंद्र सरकार का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं है। कहा कि बिहार में पिछले 15 वर्षों में फसल बीमा की क्षतिपूर्ति दावों का औसत करीब 20 फीसद रहा है और इन उपर्युक्त सभी तथ्यों से बिहार सरकार अवगत है। केंद्र सरकार की कोशिश है कि सभी किसान भाइयों को कम से कम प्रीमियम दर पर फसल बीमा का लाभ मिले।


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