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सदर अस्पताल की बेड पर चादर नहीं, पीकू वार्ड में सो रहा था कर्मी

मोतिहारी। उत्कृष्टता का मानक तय करने वाला मोतिहारी सदर अस्पताल आज अपनी बदहाली से उबरने की कोशिश में है। इस अस्पताल को बेहतर संस्थागत इंतजाम को लेकर दो-दो बार राष्ट्रीय स्तर का कायाकल्प पुरस्कार मिल चुका है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 10:58 PM (IST)Updated: Mon, 09 Sep 2019 10:58 PM (IST)
सदर अस्पताल की बेड पर चादर नहीं, पीकू वार्ड में सो रहा था कर्मी

मोतिहारी। उत्कृष्टता का मानक तय करने वाला मोतिहारी सदर अस्पताल आज अपनी बदहाली से उबरने की कोशिश में है। इस अस्पताल को बेहतर संस्थागत इंतजाम को लेकर दो-दो बार राष्ट्रीय स्तर का कायाकल्प पुरस्कार मिल चुका है। लक्ष्य एवं एमक्यूएएस जैसे मूल्यांकन में कामयाबी से बस चंद कदम दूर रह गया था यह अस्पताल। बावजूद इसके मजबूत इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए व्यवस्था को नई ऊंचाई देने की कोशिश की गई। स्थिति ऐसी थी कि राज्य स्वास्थ्य समिति ने दूसरे जिला अस्पताल के प्रतिनिधियों को यहां की व्यवस्था को देखने व उससे सीख लेने का भेजा था। मगर धीरे-धीरे बदहाली की आगोश में यह अस्पताल चला गया। सीरिज व कॉटन तक की कमी हो गई। दवा की कमी सबसे बड़ी समस्या रही। मगर समय ने एक बार फिर करवट बदला और यह अस्पताल बदलाव की दिशा में बढ़ने लगा है। बहरहाल, सोमवार को दैनिक जागरण की टीम ने अस्पताल का जायजा लिया। व्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश स्पष्ट नजर आई। मगर, अब भी समस्याएं हैं। परेशानी भी है। प्रबंधन का दावा है कि कुछ दिनों में भी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी। हम सुबह 10:45 बजे सदर अस्पताल परिसर में दाखिल हुए :-

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शुद्ध पेयजल नदारद, लेबर वार्ड भी बदहाल

हम अस्पताल के अंदरूनी हिस्से की ओर बढ़े। सबसे पहले परिवार कल्याण ओटी नजर आया। सब कुछ सामान्य था। आगे जांच घर में भी स्वास्थ्य कर्मी सक्रिय थे। हम और आगे बढ़े। पीकू (पेडिएट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट) वार्ड में अंदर देखा। सभी बेड खाली थे। ए ग्रेड नर्स सहित दो स्वास्थ्य कर्मी नजर आए। हालांकि दोनों बैठे-बैठे सो रहे थे। हम बिना कुछ बात किए बाहर आ गए। बगल में बर्न वार्ड था। वहां एक महिला मरीज नीतू देवी भर्ती थी। वार्ड का एसी चालू था। मगर सफाई अपेक्षित स्तर की नहीं थी। जबकि कहा जाता है कि बर्न के मरीजों को संक्रमण का भी खतरा बना रहता है। हमने वार्डों में बेड की स्थिति को भी देखा। किसी भी वार्ड में दिन के अनुसार चादरें बिछी नजर नहीं आई। वार्ड के सामने लगे वाश बेसिन को भी देखा। कुछ में पानी आ रहा था। कुछ सूखे थे। प्याऊ भी सूखा था। हालांकि कई आरओ सिस्टम को ठीक किया गया है। हम प्रसूति वार्ड की ओर बढ़े। वहां जानकारी मिली कि लेबर रूम का एसी लंबे समय से बंद है। लेबर रूम के बाहर गेट पर लगे वाश बेसिन की स्थिति संतोषजनक नहीं दिखी। हम प्रसूति वार्ड से बाहर निकल रहे थे तभी एक महिला पानी की बोतल हाथ में लेकर आती नजर आई। पूछा आप बाहर पानी क्यों ला रही हैं? बताया कि यहां का पानी ठीक नहीं है।

ओपीडी में दिखी मरीजों की भीड़

हम ओपीडी की ओर बढ़े। पंजीकरण काउंटर पर काफी भीड़ थी। हम भवन के अंदर गए। सामने ऑर्थो के डॉक्टर का कक्ष था। बाहर मरीजों भी भीड़ थी। कक्ष में चिकित्सक मरीजों का इलाज कर रहे थे। उस कक्ष के सामने वेटिग हॉल में भी बड़ी संख्या में मरीज बैठे थे। जानकारी मिली कि ज्यादातर लोग कुत्ते के काटने की सूई (एआरवी) लेने आए हैं। मगर वहां उन्हें सूई नहीं मिल रही थी। मरीजों को बताया गया था कि आज स्टॉक में ही एआरवी नहीं है। अन्य कक्ष को भी देखा। चिकित्सक मौजूद थे। दवा के काउंटर पर भी मरीज कतारबद्ध नजर आए।

एक सप्ताह से अनुपस्थित मगर रजिस्टर में उपस्थिति दर्ज

हम सिविल सर्जन कार्यालय की ओर बढ़ रहे थे। तभी भीड़ दिखी। जानकारी मिली कि ये लोग मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए भटक रहे हैं। इनमें छात्रों की संख्या ज्यादा थी। सबकी प्रमाण पत्र को लेकर अपनी-अपनी जरूरत थी। किसी को नामांकन के लिए तो किसी को ड्राइविग लाइसेंस के लिए। सभी सिविल सर्जन से मिलने पहुंचे। जानकारी मिली कि आंख के डॉक्टर कोर्ट में गए हैं, जिसके कारण यह समस्या है। सभी इस स्थिति से निराश थे। तभी मठिया जिरात निवासी विजय सिंह नाम के एक व्यक्ति मिले। उनके साथ उनकी पुत्री भी थी। कुत्ते ने उसे काटा था। सूई के लिए भटक रहे थे। हम भी सीएस कक्ष गए। सीएस डॉ. शकुंतला सिंह कर्मियों की उपस्थिति पंजी का अवलोकन कर रही थीं। कुछ ऐसे चिकित्सक एवं कर्मियों की उपस्थिति बनी नजर आई जो आज आए ही नहीं थे। एक महिला चिकित्सक जो पिछले एक सप्ताह से अनुपस्थित हैं उनकी भी हाजिरी बनी थी। सीएस इस पेशोपेश में थीं कि आखिर यह कौन कर रहा है। वे इस बात पर सख्त नजर आईं।

बयान

अस्पताल की व्यवस्था को ठीक करने का काम तेजी से हो रहा है। पूरे परिसर में प्रकाश की व्यवस्था की गई है। पेयजल की अब कोई समस्या नहीं है। वार्ड की व्यवस्था को भी ठीक किया जा रहा है। अब नियमित रूप से दिन के अनुसार चादरें बेड पर नजर आएंगी। आइपीडी में दवा की उपलब्धता भी अब करीब-करीब ठीक है। ओपीडी में कुछ समस्या है। वहां भी सब कुछ बहुत जल्द सामान्य हो जाएगा।

- विजयचंद्र झा, प्रबंधक, सदर अस्पताल

बयान

अस्पताल से जुड़ी समस्याओं को दूर करने की कोशिश की जा रही है। चिकित्सक समय से आएं इस बात पर जोर दिया जा रहा है। ओपीडी में चिकित्सकों के ससमय आने की स्थिति में भी सुधार हुआ है। मैं उपस्थिति पंजी को देख रही हूं। किसी किस्म की मनमानी नहीं चलेगी। सख्त हिदायत दी गई है।

- डॉ. शकुंतला सिंह, प्रभारी सिविल सर्जन


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