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देश में कौमी एकता के लिए मुशायरा जरूरी : मंत्री

मोतिहारी। ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि देश में कौमी एकता के लिए मुशायरा व कवि सम्मेलन एक सशक्त माध्यम है। यह मोहब्बत व भाईचारे का पैगाम देता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 30 Nov 2019 11:31 PM (IST)Updated: Sat, 30 Nov 2019 11:31 PM (IST)
देश में कौमी एकता के लिए मुशायरा जरूरी : मंत्री
देश में कौमी एकता के लिए मुशायरा जरूरी : मंत्री

मोतिहारी। ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि देश में कौमी एकता के लिए मुशायरा व कवि सम्मेलन एक सशक्त माध्यम है। यह मोहब्बत व भाईचारे का पैगाम देता है। वे शनिवार को नगर भवन परिसर में आयोजित सर सैयद वेलफेयर सोसायटी के तत्वावधान में आयोजित ऑल इंडिया मुशायरा सह कवि सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। इस क्रम में कला संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा कि देश की कौमी एकता में इस प्रकार का आयोजन अहम है। इस प्रकार के आयोजन से सामाजिक सछ्वभाव बढ़ता है। इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ कला संस्कृति व युवा विभाग मंत्री प्रमोद कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, विधायक सचिद्र प्रसाद सिंह, एमएलसी खालिद अनवर व सतीश कुमार, पूर्व विधायक कृष्णनंदन पासवान, कपिलदेव प्रसाद उर्फ भुवन पटेल, महेश्वर सिंह, मोहिबुल हक, गुलरेज शहजाद एवं साजिद रजा ने संयुक्त रूप से किया। मौके पर बजरंगी नारायण ठाकुर, खुर्शीद अजीज, परवेज खान, मुमताज अहमद, पूर्व मुख्य पार्षद प्रकाश अस्थाना, नप मुख्य पार्षद अंजू देवी, मो. कलाम, राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, मुन्ना गिरि, पं. चंद्रकिशोर मिश्र, गुड्डू श्रीवास्तव, नसीम अहमद, जिप उपाध्यक्ष कमलेश्वर सिंह, मुखिया बेबी आलम, ई. वसीम, लक्ष्मी नारायण यादव, मुन्ना गिरि, चंद्रकिशोर मिश्रा, रामभजन, विरेंद्र जालान, विनय वर्मा, वसील अहमद खां, संजय सिंह आदि मौजूद थे।

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गीत गजल व शायरी से गुलजार रही शनिवार की रात

नगर भवन के मैदान में शनिवार को आयोजित यह साहित्यिक आयोजन एक बार फिर नई ऊंचाई को छूता नजर आया। आयोजन को यादागार बनाने में जहां आयोजकों ने हर संभव कोशिश की थी, वहीं देश के विभिन्न हिस्सों से आए शायरों व कवियों ने अपनी सुंदर रचनाओं की फुहार से इसे रोमांचकारी भी बना दिया। इस क्रम में सुप्रसिद्ध शायरा अन्ना देहलवी ने हिदी व उर्दू के संबंधों की गहराई को रेखांकित करते हुए फरमाया फूलों के रंग तितलियों के हवाले कर दूं, गालिबो मीर को तुलसी के हवाले कर दूं, आज आपस में मिला दूं सगी बहनों को, ज्ञानी उर्दू को मैं हिदी के हवाले कर दूं..। इसके बाद उन्होंने महफिल में युवा श्रोताओं की पसंद को ध्यान में रखते हुए प्यार हिस्सों में बंट नहीं सकता, प्यार रास्ते से हट नहीं सकता, कौन समझाए बेवकूफों को, प्यार पानी है कट नहीं सकता.। वहीं, महाकाल की धरती उज्जैन से आईं शबाना शबनम ने अपने गीत के माध्यम से युवाओं को आकर्षित कुछ इस तरह किया- कभी गलियों में आए, कभी छत पर बुलाए, मुझे करे वो इशारे घड़ी-घड़ी..। उर्दू अदब के शायर एकबाल अशअर ने कहा यही जुनून यही ख्वाब है मेरा, वहां चराग जला दूं जहां अंधेरा है..। यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा। सुप्रसिद्ध मंच संचालक नदीम फर्रुख के मंच संचालन में मुशायरे में राही बस्तवी, हाशिम फिरोजाबादी, तंग इनायतपूरी, निकहत मुरादाबादी, शबीना अदीब, अचानक मऊ, अनिल चौबे, ताहिर फराज, अतुल अजनवी, जौहर कानपुरी, मरहुम मालगांवी शकील भारती, मिशम गोपालपुरी, सुनील कुमार तंग, शंकर कैमूरी समेत विभिन्न कवि व शायरों ने अपनी नवीनतम एवं बेहतरीन रचनाओं का पाठ किया। मोतिहारी सुधि श्रोताओं ने भी जमकर दाद दी।


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