नियमित गॉर्डलिग से लीची का होगा बेहतर उत्पादन
मेहसी। अगर लीची के पेड़ों से बेहतर फलोत्पादन प्राप्त करना है तो नियमित गॉर्डलिग करें। इस विधि से नए पत्ते नही उगेंगे व फलों का उत्पादन पहले से दोगुना होगा। इस विधि को अपनाने का समय सितम्बर के अंतिम या अक्टूबर के प्रथम सप्ताह उपयुक्त होगा।
मेहसी। अगर लीची के पेड़ों से बेहतर फलोत्पादन प्राप्त करना है तो नियमित गॉर्डलिग करें। इस विधि से नए पत्ते नही उगेंगे व फलों का उत्पादन पहले से दोगुना होगा। इस विधि को अपनाने का समय सितम्बर के अंतिम या अक्टूबर के प्रथम सप्ताह उपयुक्त होगा। उक्त बातें फार्मर फर्स्ट परियोजना के तहत राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर के वरीय वैज्ञानिक डॉ संजय कुमार सिंह व डॉ अमरेंद्र कुमार ने संयुक्त रूप से कही। वैज्ञानिकों ने मेहसी में भाजपा किसान प्रकोष्ठ के जिला महासचिव अजय कुमार सिंह के लीची बाग में किसानों को प्रायोगिक विधि से प्रशिक्षण भी दिया। उन्होंने बताया कि पौधों में पोषक तत्त्वों को पहुंचानेवाले दो प्रकार के नलिका होते है। एक जो जड़ से पोषक तत्त्वों को अवशोषित कर पौधों को प्रदान करता है। यह नलिका शाखाओं के मध्य भाग में होती है। दूसरा जो फुनगी से जड़ तक फैली होती है। यह प्रकाश को अवशोषित कर जड़ तक फैलाती है। यह पेड़ों के ऊपरी भाग में फैली होती है। हमे गॉर्डलिग या वलयन विधि से ऊपरी भाग को प्रभावित करना है। इस विधि में हम पहले तेज आरी से शाखा के ऊपरी छाल पर गोलाकार चिह्न बनाये। फिर किट से 02 मिलीमीटर चौड़ाई में लीची का छाल हटाएंगे। फिर उस चौड़ाई की किट में मिले चाकू से साफ कर देंगे। हम इसका प्रयोग लीची के 75 प्रतिशत मजबूत शाखा में करेंगे। इससे फायदा यह होगा कि पोषक तत्त्व ऊपर रुक जाएंगे और नई पत्तियां नही निकलेंगी। फलोत्पादन में बृहत पैमाने पर बढ़ोतरी होगी। वैज्ञानिको ने सप्ताह के अंत मे किसानों को गॉर्डलिग किट उपलब्ध कराने का भी आश्वासन दिया। प्रशिक्षण प्राप्त करने वालो किसानों में अरुण कुमार राय, संजय कुमार, अजय कुमार सिंह, हरिनाथ मिश्रा, शिवचंद्र चौरशिया, डॉ अशोक कुमार, ज्याऊर रहमान, राजेन्द्र राय, रिपुराज, शम्भू राम, आलोक राज आदि शामिल थे।