किसानों की संपन्नता के लिए ठोस कदम उठाना जरूरी
मोतिहारी। गो¨वदगंज, देश के किसान हमें अन्न के में सोना उगाकर देते हैं। देश की अर्थव्यवस्था किसानों
मोतिहारी। गो¨वदगंज, देश के किसान हमें अन्न के में सोना उगाकर देते हैं। देश की अर्थव्यवस्था किसानों पर ही निर्भर है। किसानों की समृद्धि के लिए आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है। उक्त बातें अनुमंडल पदाधिकारी संजय ¨सह ने रविवार को दैनिक जागरण के तत्वावधान में चलाए जा रहे देश के सबसे बड़े संपादकीय महाअभियान के तहत पूर्वी चंपारण जिले के चकिया प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित ट्राईसम भवन के सभागार में आयोजित एक दिवसीय किसान कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही। कहा कि किसान नई तकनीक से खेती कर उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकते हैं। आज बाजार में कई प्रकार के हाइब्रिड बीज उपलब्ध हैं जिस के प्रयोग से किसान अपने फसलों का अधिक पैदावार उगा सकते हैं। उन्होंने कहा कि लगातार रासायनिक खादों के प्रयोग से खेतों में उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है। वर्मी कंपोस्ट के उपयोग से किसान खेतों की उपजाऊ शक्ति को बढ़ा सकते हैं। वर्मी कंपोस्ट मृदा में सूक्ष्म जीवाणुओं को सक्रिय कर पौधों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले पोषक तत्व को उपलब्ध करवाता है। जिससे फसल उत्पादन में वृद्धि होती है। वर्मी कंपोस्ट के उपयोग से किसान पोस्टिक भोजन को प्राप्त करते हैं। वर्मी कंपोस्ट के उपयोग से हानिकारक रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाओं पर निसंदेह अंकुश लग सकेगा। जिससे प्रदूषण में भी कमी आएगी। दानेदार प्रकृति के कारण वर्मी कंपोस्ट भूमि में वायु परिसंचरण, जल धारण क्षमता को सुधारने के साथ ही पेड़ पौधों में जड़ बढ़ाव का भी कार्य करता है। अनुमंडल पदाधिकारी श्री ¨सह ने दैनिक जागरण के द्वारा किसानों की समस्याओं को लेकर चलाए जा रहे संपादकीय महाअभियान Þजो उपजाए अन्न वो क्यों ना हो संपन्नÞ की सराहना करते हुए कहा कि जो काम राजनीतिक स्तर और शासन, प्रशासन द्वारा होना चाहिए। वह काम दैनिक जागरण कर रहा है। इसके लिए उन्होंने जागरण परिवार को साधुवाद दिया। प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रमिला कुमारी ने कहा कि किसान पारंपरिक खेती के अलावा फलदार पौधे की खेती जैसे केला, पपीता आदि की खेती कर अपने आय को बढ़ा सकते हैं। मशरूम की खेती, अंडे का उत्पादन, मुर्गी पालन, मछली व मधुमक्खी पालन में भी किसानों की आमदनी बढ़ाने की बेहतर संभावनाएं हैं। कई किसानों ने कृषि के क्षेत्र में अपने आप को स्थापित कर प्रदेश में मिसाल पेश करने का काम किया है। चकिया नगर पंचायत के मुख्य पार्षद हरजीत ¨सह ने कहा कि मधुमक्खी पालन में कम समय, कम लागत और कम ढांचागत पूजी निवेश की जरूरत होती है। चकिया अनुमंडल के मेहसी प्रखंड के किसान इसका जीता जागता उदाहरण हैं। आज मेहसी मधुमक्खी पालन का हब बन चुका है। कम उपज वाले खेत या बागवानी किए गए खेतों का इस्तेमाल मधुमक्खी पालन के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मधुमक्खी का पालन किसी एक व्यक्ति या समूह बनाकर शुरू किया जा सकता है। बाजार में शहद और मधुमक्खी के छत्ते के द्वारा निकले हुए मोम की मांग काफी अधिक है। किसानों को इसकी अच्छी कीमत नहीं मिलती है। उप मुख्य पार्षद सुभाष यादव ने कहा कि जैसे जैसे विज्ञान का विकास हुआ वैसे वैसे आधुनिक तकनीक से खेती करने की प्रक्रिया शुरू हुई है। आने वाले दिनों में किसानों को इसके बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे। वहीं पार्षद सुनील ¨सह ने कहा कि सरकार द्वारा किसानों को कम ऋण पर केसीसी मुहैया कराने का दावा किया जाता है, लेकिन हकीकत यह है कि बिचौलियों के चक्कर में किसानों को केसीसी का लाभ नहीं मिल पाता है। कार्यक्रम के बीच में ही कुड़िया निवासी किसान आलोक ¨सह ने कहा कि अंचलाधिकारी को एलपीसी के लिए 15 सौ रुपये चाहिए। जिसको गंभीरता से लेते हुए वरीय अधिकारियों ने जांच की बात कही। कृषि समन्वयक अजीत कुमार पांडेय ने कहा कि जमीन से पानी का स्तर दिन प्रतिदिन घट रहा है। जिसके लिए सरकार ने बो¨रग पर अनुदान देने का निर्णय लिया है। किसान अपने खेतों में निजी बो¨रग लगवा कर उसका अनुदान कृषि विभाग में आवश्यक कागजात को जमा कर प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा चिन्हित खाद बीज भंडारों पर अनुदानित दर पर खाद बीज उपलब्ध है। किसान अपने आवश्यकतानुसार खाद बीज कागजात देकर नगद खरीद सकते हैं। जिसका अनुदान सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजा जाएगा। अनुदान प्राप्त करने के लिए सबसे पहले किसानों को रबी फसल के लिए किसान रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। कृषि समन्वयक राजेश कुमार ने कहा कि एक हेक्टेयर खेत में गन्ना, धान, गेहूं की फसल से किसानों को अधिकतम सवा लाख रुपए तक का लाभ मिलता है। वही इतनी ही भूमि में मछली पालन करने से लगभग ढाई लाख रुपए की आएगी जा सकती है। कार्यक्रम को कृषि समन्वयक दीपक कुमार, राजीव रंजन, किसान सलाहकार अर¨वद कुमार झा, उदयशंकर प्रसाद, राकेश कुमार आदि ने संबोधित किया।