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भारतीय जीवन शैली पर्यावरण एवं प्रकृति के अनुकूल

मोतिहारी । शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास एवं डॉ. श्रीकृष्ण सिन्हा महिला महाविद्यालय मोतिहारी के

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Jun 2020 08:04 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 06:18 AM (IST)
भारतीय जीवन शैली पर्यावरण एवं प्रकृति के अनुकूल

मोतिहारी । शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास एवं डॉ. श्रीकृष्ण सिन्हा महिला महाविद्यालय मोतिहारी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 'कोविड-19 : प्रकृति और हम' विषयक वेबिनार में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व सांसद आरके सिन्हा ने कहा कि भारतीय आध्यात्म संस्कृति एवं जीवन पद्धति पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर है। भारतीय जीवन शैली पर्यावरण एवं प्रकृति के अनुकूल है। परंतु विकसित देशों की कार्य शैली एवं उनकी संस्कृति ने पर्यावरण में असंतुलन की स्थिति पैदा कर दी है। इसका कुप्रभाव आज न सिर्फ पूरी मानव जाति बल्कि सभी जीव-जंतु को भोगना पड़ रहा है। आज अगर हम अपनी श्रद्धा एवं इच्छा से पर्यावरण का संरक्षण नहीं करेंगे तो भावी पीढ़ी का जीवन दूभर हो जाएगा। वैश्विक महामारी कोविड-19 पर विचार देते हुए उन्होंने केंद्र सरकार के द्वारा उठाए गए कदम पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने भारतीय जीवनशैली, खानपान, उपासना, योग आदि की चर्चा करते हुए बताया कि इससे मानव में प्रतिरोध क्षमता बढ़ती है। इसलिए आज भारत में मृत्यु दर कम है। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास बिहार प्रांत के संयोजक एवं यूनिर्विसटी र्सिवस कमीशन के सदस्य प्रो. विजयकांत दास ने कहा कि भारत का योग, खानपान और जीवनशैली की सोच विश्व को कोविड-19 महामारी ही नहीं बल्कि अनेकों जानलेवा बीमारियों से बचाने में कारगर साबित होगा। उन्होंने नदियों, पहाड़ों, पेड़-पौधों और अनेकों जानवर को यहां पूजने की परंपरा को पर्यावरण संरक्षण का कारगर उपाय बताया। कहा- पूरे विश्व को इसे अपनाना चाहिए। विषय विशेषज्ञ बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के पूर्व साइंस डीन एवं वनस्पति शास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो. संतोष कुमार ने अपने संबोधन में जीव की उत्पत्ति से लेकर अब तक के जैविक विविधता पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। कहा- भौतिकवाद विकास की अवधारणा पर्यावरण को बहुत क्षति पहुंचा रही है। इसे प्रकृति के सहनशील विकास के रूप में र्विणत करना अति आवश्यक है। इस कड़ी में कोविड-19 की उत्पत्ति हुई है जो पूरे विश्व के लिए जानलेवा साबित हो रही है। डॉ. श्रीकृष्ण सिन्हा महिला महाविद्यालय के प्राचार्य एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के पर्यावरण प्रकल्प के बिहार प्रांत संयोजक डॉ. रत्नेश कुमार आनंद ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि मनुष्य पर्यावरण की मात्र एक इकाई है, मालिक नहीं है। जैसे चाहे पर्यावरण के साथ अपने स्वार्थ के लिए खिलवाड़ करे, इसकी इजाजत नहीं होनी चाहिए। पौधारोपण, जल संरक्षण और आबादी नियंत्रण पर अपने संबोधन में प्राचार्य ने खासा बल दिया। वेबिनार में अन्य वक्ताओं ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए।

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