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लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में सैनिटाइजर व हैंड ग्लब्स की रही किल्लत, आसमान पर थे दाम

मोतिहारी। कोरोना संक्रमण को ले 25 मार्च को लगे लॉकडाउन में मेडिकल स्टोर को सरकार ने

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 12:23 AM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 12:23 AM (IST)
लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में सैनिटाइजर व हैंड ग्लब्स की रही किल्लत, आसमान पर थे दाम

मोतिहारी। कोरोना संक्रमण को ले 25 मार्च को लगे लॉकडाउन में मेडिकल स्टोर को सरकार ने जरूरी मानकों व संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी एहतियात के साथ खोलने का निर्देश दिया था। लॉकडाउन के शुरूआती दिनों में पुलिस व प्रशासन काफी सक्रिय रही साथ ही लोगों में संक्रमण को लेकर डर था। इस बीच लोग जरूरी होने या इमरजेंसी होने पर ही घरों से दवा के लिए निकलते थे। इस बीच शुरूआती दिनों में मास्क, सेनेटाइजर व ग्लब्स के दाम आसमान पर पहुंच गए। इसके दुकानों से इसकी स्टॉक समाप्त हो गई। वही फैक्ट्रियां बंद होने से माल की भी आपूर्ति सही तरीके से नहीं हो पा रही थी और दाम भी बढ़ गए। शहर के हॉस्पीटल चौक स्थित दवा के थोक विक्रेता मृत्युंजय कुमार ने बताया कि शुरूआती दिनों में एन-95 मास्क पांच सौ व ग्लब्स 160 में 50 पेयर के बिकने वाला चार से पांच सौ तक पहुंच गया। ऐसे ही अन्य जरूरी दवाएं जो स्टॉक से समाप्त होती गई उसके दाम आसमान छुने लगे। इस बीच सरकार ने ट्रांसपोर्ट में छुट दी, लेकिन माल कम मात्रा में मिलने शुरू हुए, कारण फैक्ट्रियों में मैन पावर की कमी के कारण उत्पादन में कमी के कारण आपूर्ति व्यवस्था ठीक नहीं रही। श्री कुमार ने बताया कि माल अगर ट्रांसपोर्ट में पहुंच भी जाता तो ठेला वाले तैयार नहीं होते, होने पर भी प्रति कार्टन भाड़ा बढ़ गया। उन्होंने बताया इसबीच खुदरा दुकानदार माला तो उठाते लेकिन भुगतान का अनुपात काफी कम होता। इस कारण बाजार में पूंजी भी ठहर गई। मृत्युंजय कहते है कि पूरा एक वर्ष खुदरा दुकानदारों से व्यापार करने के दौरान वर्ष में एक बार वार्षिक क्लोजिग होती थी, इसमें दुकानदार पूरे वर्ष का बकाया भुगतान करते और फिर नए सिरे से काम शुरू होता। कोरोना संक्रमण के बीच शहर के एक भी थोक दवा दुकान की वार्षिक क्लोजिग नहीं हो सकी। पैसे के अभाव में व्यवसाय भी पटरी से उतरने लगा, क्योंकि आमदनी घटी लेकिन खर्च जस के तस रहा। उन्होंने बताया कि उनके प्रतिष्ठान में दो कर्मचारी है, जो नियमित रूप से सरकार व प्रशासन के दिशा-निर्देश का पालन करते हुए दुकान पर मौजूद होते। दुकान पर ग्राहकों को एक निश्चित दूरी के साथ मास्क जरूरी किया गया। वही दुकान का किराया, बिजली बिल व बैंक लोन पर ब्याज में किसी तरह की राहत नहीं मिली। इधर खुदरा मेडिकल स्टोर के संचालक मदन प्रसाद यादव, राजकिशोर प्रसाद गुप्ता, सुनील कुमार श्रीवास्तव, श्रीराम प्रसाद, सुनील झा, अनील कुमार आदि कहते है कि लॉकडाउन में सरकार ने दवा दुकानों को खोलने का निर्देश दिया, लेकिन एक भी नर्सिंग होम व चिकित्सक अपने क्लिनिक में नहीं बैठते थे, लॉकडाउन के करीब दो माह तक मरीजों की संख्या नगण्य रही। इमरजेंसी होने पर भी मरीज क्लीनिक पहुंचते थे। इस कारण खुदरा दवा व्यवसाय खुलने के बाद भी प्रभावित रहा। हालाकि अब स्थिति सामान्य हुई है। नर्सिंग होम खुलने के साथ मरीज भी पहुंच रहे है। वही कोरोना संक्रमण से बचाव को ले दुकानदार व ग्राहक के बीच एक निश्चित दूरी के लिए घेराबंदी भी की गई है। वही ग्राहक को अनिवार्य रूप से मास्क लगा आने पर ही दवा दिया जा रहा है।

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