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गांधी संग्रहालय: इस टेबल पर बापू ने लिखा था इतिहास, स्‍मृति में यहीं बनाया चरखा चौक

चंपारण सत्‍याग्रह के दौरान गांधी जी ने जिस टेबल पर बैठकर किसानों की समस्‍याएं सुनीं, वह यहां के गांधी संग्रहालय में आज भी मौजूद है। संग्रहालय के सामने चरखा चौक बनाया गया है।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 10 Apr 2018 02:04 PM (IST)Updated: Tue, 10 Apr 2018 04:58 PM (IST)
गांधी संग्रहालय: इस टेबल पर बापू ने लिखा था इतिहास, स्‍मृति में यहीं बनाया चरखा चौक
गांधी संग्रहालय: इस टेबल पर बापू ने लिखा था इतिहास, स्‍मृति में यहीं बनाया चरखा चौक

पूर्वी चंपारण [जेएनएन]। काठ का टेबल इतिहास है। इतिहास इस बात का कि इस टेबल पर बैठ मोहनदास करमचंद गांधी ने सत्याग्रह आंदोलन के दौरान किसानों की पीड़ा महसूस की थी। शहर के मध्य जिस स्थान पर गांधीजी ने अंग्रेज अफसर के समक्ष अपना इजहार पेश किया था, उसी स्थान से सटा है गांधी संग्रहालय। इसमें वह ऐतिहासिक टेबल है, जिसके आसपास गांधी ही गांधी नजर आते हैं। गांधी संग्रहालय के ही सामने 'चरखा चौक' का निर्माण किया गया है।

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15 अप्रैल 1917 को गांधीजी चंपारण पहुंचे थे। अंग्रेजी सरकार और किसानों के बीच विवाद सुलझाने के लिए 10 जून 1917 को जांच समिति बनी थी। गांधीजी इस समिति के सदस्य थे। समिति ने 25 जुलाई 1917 को शहर के मध्य स्थित जिला परिषद के कार्यालय में पहली बैठक की। समिति ने चार अक्टूबर 1917 तक किसानों की समस्याओं को सुना (इजहार लिया)।

बैठक काठ के टेबल पर होती थी। वह टेबल आज भी उतनी ही जीवंत है, जितना गांधीजी के विचार। यहां से शुरू हुए सत्याग्रह आंदोलन के गौरवशाली अतीत पर विकास और स्वच्छता को लेकर सौ साल बाद ही सही, लेकिन नया 'इतिहास' गढ़ा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं शताब्दी वर्ष में देशभर में चले 'सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह' अभियान के समापन को लेकर 10 अप्रैल को मोतिहारी पहुंचे। उन्‍होंने चंपारण से पूरे देश से गंदगी मिटाने का शंखनाद किया।

जिला परिषद और गांधी संग्रहालय को किया अपडेट

जिला परिषद के विशाल भवन में महात्मा गांधी व कस्तूरबा कांफ्रेंस हॉल का निर्माण किया गया है। गांधीजी ने जिला परिषद के कार्यालय में क्या किया, इससे संबंधित शिलालेख लगाया गया है। शिलालेख स्थल को पार्क का स्वरूप दिया गया है। इससे कुछ दूरी पर स्थित गांधी संग्रहालय में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ किसानों के इजहार सुनने के साक्षी टेबल को संजोया गया है। साथ ही यहां बापू से जुड़ी तस्वीरें और अन्य चीजें संरक्षित हैं। यहां एक करोड़ 87 लाख 22 हजार रुपये से ऑडिटोरियम का निर्माण हो रहा है। वहीं इस परिसर में एक बेहतर पार्क का निर्माण हो रहा है।

सत्याग्रह शताब्दी वर्ष की निशानी 'चरखा चौक'

गांधी संग्रहालय के सामने 'चरखा चौक' का निर्माण किया गया है। यहां खूबसूरत पार्क विकसित किया गया  है, जिसके बीच में बापू का चरखा रखा है। प्रवेश द्वार पर गांधी की प्रतिमा और उनके संदेश से संबंधित शिलालेख लगाए गए हैं। 10 अप्रैल को प्रधानमंत्री ने चरखा चौक का उद्घाटन किया।

भाजपा के प्रवक्ता संजीव कुमार सिंह बताते हैं चरखा चौक शहर के लिए एक नई संरचना है। यह चंपारण सत्याग्रह के दौरान बापू द्वारा कही गईं बातों की याद ताजा करेगा। 

गांधी से जुड़े स्थलों का हो रहा विकास

पूर्वी चंपारण जिला परिषद की अध्यक्ष प्रियंका जायसवाल ने बताया कि जिले में जहां से भी गांधीजी का जुड़ाव रहा है, उन सभी स्थानों का विकास किया जा रहा है। जिला परिषद में बापू और बा के नाम पर कांफ्रेंस हाल का निर्माण हुआ है। पार्क विकसित किया गया है, ताकि इतिहास सुरक्षित व संरक्षित रहे।


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