किसान, स्वास्थ्य व शिक्षा के हित में सरकार का बजट
बिहार सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में जल जीवन हरियाली व किसानी के साथ-साथ शिक्षा व स्वस्थ्य पर विशेष जोर दिया गया है। इसपर प्रतिक्रिया देते हुए विभिन्न वर्ग के लोगों ने कहा कि इससे बिहार की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।
मोतिहारी । बिहार सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में जल जीवन हरियाली व किसानी के साथ-साथ शिक्षा व स्वस्थ्य पर विशेष जोर दिया गया है। इसपर प्रतिक्रिया देते हुए विभिन्न वर्ग के लोगों ने कहा कि इससे बिहार की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। किसानों को बेहतर लाभ देकर सरकार ने यह साबित कर दिया है कि किसान हमारे लिए सबसे उपयोगी हैं। वहीं जल जीवन हरियाली, शिक्षा व स्वास्थ्य भी आम लोगों के हित से जुड़ा हुआ हैं, इस पर बजट में विशेष प्रावधान की लोगों ने सराहना की है। वही बिहार के विकास व मजदूरों के पलायन को लेकर उद्योग धंधों पर कुछ भी विशेष नहीं होने से कुछ लोगों ने इसे चुनावी बजट भी कहा। प्रस्तुत हैं कुछ लोगों के विचार :-
सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों को सरलता से उपलब्ध हो सके इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी। साथ ही छोटे किसानों के हित में हुई घोषणा को धरातल पर उतारने का प्रयास होना चाहिए। किसानों को उनकी फसल का उचित समर्थन मूल्य मिले इसकी व्यवस्था सरकार को सुनिश्चित करानी होगी। वही सहकारिता को प्रोत्साहन की जरूरत हैं।
- धीरज कुमार मिश्रा, युवा किसान
------------------ बजट किसानों के हित में है, लेकिन इसका लाभ ग्रामीण किसानों को मिले यह सुनिश्चित करना होगा। किसानों के हित में कई घोषणाएं हुई हैं, लेकिन उसे सरलता के साथ धरातल पर उतारने की जरूरत है। ताकि इसका लाभ सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के किसानों को मिल सके।
- सुरेंद्र कुमार, किसान।
------------------ बिहार सरकार द्वारा पेश किया गया बजट किसानों व रोजगार के लिए भटक रहे युवाओं के लिए निराशाजनक रहा है। सरकार ने जल जीवन हरियाली योजना को प्राथमिकता देते हुए इसके लिए अलग से राशि उपलब्ध कराई है। यह स्वागत योग्य है। यह आम लोगों की जरूरत है। वही लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ सरलता के साथ मिल सके इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी।
- हरि सिंह, व्यवसायी।
------------------ बिहार सरकार ने शिक्षा व स्वास्थ्य पर विशेष राशि का प्रावधान किया है। इससे शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव हो सकता है। जरूरी है दृढ इच्छा शक्ति की। वही जल जीवन हरियाली व किसान हित में भी सरकार ने बजट में बेहतर प्रावधान किया है। कुल मिलाकर यह बजट संतोषप्रद है।
- राहुल अग्रवाल, अध्यक्ष बलुआ व्यवसायी संघ।
------------------- बिहार सरकार द्वारा पेश किया गया बजट दूरगामी सोच को दर्शाता है। यदि धरातल पर काम हो तो इसका लाभ जरूरतमंद लोगों को मिल सकेगा। शिक्षा व स्वास्थ्य में सुधार को बजट में प्रावधान किया गया है। यह आम लोगों की जरूरत है। वही योजनाओं को जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने की समुचित व्यवस्था भी होनी चाहिए।
- रामभजन, पूर्व महासचिव चैंबर ऑफ कॉमर्स।
------------------ बिहार सरकार द्वारा जारी बजट सभी वर्गों के लिए बेहतर हैं। जल जीवन हरियाली आज सभी के लिए जरूरी है। सरकार ने इसके लिए अलग से बजट बनाकर एक निश्चित राशि का प्रावधान किया है। बजट में शिक्षा व स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया गया हैं। एक लंबे अंतराल के बाद ऐसा बजट आया है जो स्वागत योग्य है।
- डॉ. शंभूनाथ सिकरिया, शिक्षाविद् सह समाजसेवी।
----------------- बिहार के बजट में व्यवसायियों के लिए कुछ विशेष नहीं पेश हुआ है जबकि व्यवसायियों के द्वारा बिहार सरकार के राजस्व में काफी वृद्धि हुआ है। हां बजट अच्छा है कृषि, शिक्षा व स्वास्थ्य पर हुई घोषणा को इमानदारी से धरातल पर उतारने की जरूरत है।
सुधीर कुमार गुप्ता, महासचिव मोतिहारी चैंबर ऑफ कॉमर्स
----------------- दुनिया भर में आर्थिक मंदी के बीच में बिहार में बीते वित्तीय वर्ष 2019-20 में 15 प्रतिशत का विकास दर हासिल होना सुखद है। राष्ट्रीय स्तर पर बिहार में प्रति व्यक्ति आय का बढ़ना भी शुभ संकेत है। साथ ही उस पर और काम करने की आवश्यकता है। शिक्षा और स्वास्थ्य पर आवंटन बढ़ाया गया है। हरियाली के लिए बजट में आवंटन अच्छा कदम है। बिहारवासियों के जीवनस्तर को सुढृढ़ करने के लिए पर्यटन और उद्योगों पर विशेष बल देने की आवश्यकता है।
डॉ. विवेक गौरव, अध्यक्ष मोतिहारी चैंबर ऑफ कॉमर्स
------------- बिहार सरकार ने जो बजट पेश किया है, इसमे किसानों के लिए कई प्रोत्साहित योजनाएं हैं जो अच्छी बात है। लेकिन इस प्रदेश के साथ सबसे बड़ी विडंबना है यहां उद्योग धंधों की कमी है। यहां के प्रतिभाशाली व मेहनती लोग अन्य प्रदेशों में जाकर उसे समृद्ध और सशक्त बना रहे हैं। इनका पलायन रुकना चाहिए। इसके लिए सरकार को ठोस पहल करने की जरूरत थी, जो बजट में नहीं दिखी। वैसे अगर आगामी चुनाव को ध्यान में रख कर यह बजट पेश किया गया है तो कहा जा सकता है इब्त दाये इश्क में रोता है क्या, आगे आगे देखिये होता है क्या।
सत्येंद्रनाथ वर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता।