चार वर्ष पूर्व बाढ़ में ध्वस्त उत्क्रमित मध्य विद्यालय का नहीं बन सका भवन
एक तरफ सरकार शिक्षा की व्यवस्था को सुधारने में लगी है। वहीं दूसरी ओर कई विद्यालयों और उनकी व्यवस्थाओं को उपेक्षित छोड़ दिया गया है। वर्ष 2017 में आई प्रलयंकारी बाढ़ में जिहुली उत्क्रमित मध्य विद्यालय जमनी टोला का भवन ध्वस्त हो गया।
मोतिहारी । एक तरफ सरकार शिक्षा की व्यवस्था को सुधारने में लगी है। वहीं दूसरी ओर कई विद्यालयों और उनकी व्यवस्थाओं को उपेक्षित छोड़ दिया गया है। वर्ष 2017 में आई प्रलयंकारी बाढ़ में जिहुली उत्क्रमित मध्य विद्यालय जमनी टोला का भवन ध्वस्त हो गया। वह अब खंडहर में तब्दील हो गया है। बाढ़ ने भवन को इस कदर जर्जर कर दिया है। जहां पहले शिक्षा बांटकर बच्चों का भविष्य संवारा जाता था। आज अपने अस्तित्व को बचाने की राह देख रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण उत्क्रमित मध्य विद्यालय भवन है। इस जर्जर भवन में बच्चों का पठन-पाठन नहीं होता हो पर गुरुजी का उपस्थिति जरूर बनती है। चिरैया विधानसभा क्षेत्र का सबसे पूर्वी पंचायत बागमती नदी के किनारे स्थित यह जिहुली गांव से को जोड़ने वाली शिवहर मुख्य सड़क हो या गांव से निकलने वाली मुख्य सड़क वर्ष 2017 में जो ध्वस्त हुई जो अब तक नहीं बन पाए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले बच्चों से विद्यालय गुलजार हुआ करता था।अब चार वर्षों से भवन निर्माण की दिशा में पहल के लिए ग्रामीण और अभिभावक छात्र-छात्राएं टकटकी लगाए बैठे है। बता दें कि 2010-11 वित्तीय वर्ष फरवरी महीने से करीब करोड़ों रुपये की लागत से यह भवन बनाया गया था। बेहतर शिक्षा को लेकर प्राथमिक विद्यालय जमनीटोला को मध्य विद्यालय मे उत्क्रमित कर दिया गया था। जबकि आधारभूत संरचना के विकास को लेकर दो मंजिला भवन भी बनकर तैयार कर दिया गया। उत्क्रमित विद्यालय में दस शिक्षकों की पदस्थापना की गई है। हालांकि इस विद्यालय में बगल के भवन इन विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को भी वर्ष 2015-16 में टैग किया गया है। इस उत्क्रमित मध्य विद्यालय में 1 से 8 तक वर्ग की कक्षा चलता है। जिसका खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है। भवन निर्माण टेंडर कंस्ट्रक्शन का नाम व कंपनी का शिलापट्ट नहीं लगा है। वर्ष 2010 में दूर-दराज के छात्रों की सुविधा के लिए मध्य विद्यालय जमनीटोला को उत्क्रमित मध्य विद्यालय का दर्जा मिला। परंतु सरकारी एवं विभागीय उपेक्षा लापरवाही के कारण आज तक यह विद्यालय का भवन का निर्माण नहीं कराया जा सका हैं। कई बार विभागीय पदाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराने के बाद भी इस दिशा में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। भवन के अभाव में छात्र को यत्र-तत्र जगह बैठकर पढ़ने की विवशता है। जबकि विद्यालय में वर्ग 1 से 8 तक कुल दस शिक्षकों के पर 354 छात्र-छात्राओं नामांकित है। स्थानीय लोगों और अभिभावकों स्थानीय मुखिया अजय सिंह की पहल पर ने गांव में चंदा वसूलकर विद्यालय की जमीन खरीद कर दान में दी है। जमनीटोला गांव निवासी, डॉक्टर गजेंद्र सिंह, सीताराम सिंह, नाग नारायण, प्रभात कुमार, निर्मल कुमार सिंह, श्रवण कुमार सिन्हा, किशोर साहनी, दीपू सिंह सहित सैकड़ों ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ में गांव से निकलने वाली तमाम सड़कें ध्वस्त हैं। इस दिशा में ना तो विभाग और नहीं किसी जनप्रतिनिधि ने सड़क एवं विद्यालय निर्माण की दिशा में पहल नहीं की है। प्रभारी प्रधानाध्यापक नीरज शर्मा ने बताया मुझे हाल ही में विद्यालय का प्रभार मिला है। भवन निर्माण एवं मिट्टी भराई का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। मंजूरी मिलते ही भवन निर्माण के साथ सभी कार्य को जल्द पूर्ण किया जाएगा।