महिला अबला नहीं शक्ति का स्त्रोत होती
डॉ. एसकेएस महिला महाविद्यालय में आयोजित सेमिनार श्रृंखला कार्यक्रम के तहत शनिवार को दर्शनशास्त्र एवं मनोविज्ञान विभाग द्वारा सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दे पर आधारित विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
मोतिहारी। डॉ. एसकेएस महिला महाविद्यालय में आयोजित सेमिनार श्रृंखला कार्यक्रम के तहत शनिवार को दर्शनशास्त्र एवं मनोविज्ञान विभाग द्वारा सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दे पर आधारित विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रत्नेश कुमार आनंद ने की। दर्शनशास्त्र विभाग ने परिचर्चा का विषय 'गांधी दर्शन में स्त्री विमर्श, एक समीक्षात्मक विवेचना' रखा था। अपने संबोधन में मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद एलएनडी कॉलेज के दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार सिन्हा ने कहा कि महात्मा गांधी ने स्त्रियों को सबल बनाने पर जोर दिया था। समाज में नारी को अबला कहा जाता है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। नारी तो श्रृष्टिकर्ता होने के साथ-साथ शक्ति का स्त्रोत भी है। गांधीजी के विचार के अनुसार स्त्री-पुरूष के बीच व्याप्त भेदभाव को समाप्त किया जाना चाहिए। स्त्री और पुरूष दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। देश का विकास भी बगैर महिलाओं की भागीदारी के पूर्ण नहीं हो सकता। अपने संबोधन में डॉ. किरण कुमारी ने स्त्रियों पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठाते हुए इस पर रोक की आवश्यकता बताई। वहीं मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. चंचल रानी ने महिलाओं को आत्मनिर्भर होने के लिए आह्वान किया। इधर, मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित सेमिनार में विमर्श का विषय 'उपलब्धि प्रेरणा में जाति का प्रभाव' रखा गया था। एमएस कॉलेज में मनोविज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एके रंजन एवं अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष डॉ. एकबाल हुसैन मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। वक्ताओं ने विषय पर रोशनी डालते हुए कहा कि व्यक्तित्व के निर्माण में सामाजिक संरचना का बहुत प्रभाव होता है। सकारात्मक मनोवृत्ति से समाज को सही दिशा दी जा सकती है।
अतिथियों का स्वागत प्राचार्य ने बुके देकर किया। सेमिनार में प्रो. कला कुमारी, प्रो. मुक्ता, मनीषा वाजपेयी, डॉ. कल्पना सिंह, मुकेश कुमार के अलावे छात्रा अंशिका राज, पिकी कुमारी, पुष्पा कुमारी, अंकिता कुमारी, शिवानी, गिन्नी, अनुप्रिया ने भी अपने विचार व्यक्त किए। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. चंचल रानी ने किया।
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