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स्वच्छ भारत की तस्वीर 'हीरा' की नानी का शौचालय

मोतिहारी। पूर्वी चंपारण जिले के हरसिद्धि प्रखंड की घिवाढार पंचायत की वार्ड संख्या-तीन में स्वच्छ भा

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 11:50 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 11:50 PM (IST)
स्वच्छ भारत की तस्वीर 'हीरा' की नानी का शौचालय
स्वच्छ भारत की तस्वीर 'हीरा' की नानी का शौचालय

मोतिहारी। पूर्वी चंपारण जिले के हरसिद्धि प्रखंड की घिवाढार पंचायत की वार्ड संख्या-तीन में स्वच्छ भारत के लिए गरीबी की कोख में पले-बढ़े दस साल के मासूम हीरा का त्याग व निश्चय साफ नजर आता है। गांव के बीच सफेद रंग से रंगे एक सीट के शौचालय पर लाल रंग से उकेरे गए शब्द - 'हीरा की नानी का शौचालय' न सिर्फ इस बात की प्रेरणा देते हैं कि हमें स्वच्छ और स्वस्थ भारत की परिकल्पना को लेकर आगे बढ़ना है। बल्कि, यह भी एहसास कराते हैं कि एक मासूम स्वच्छता का ब्रांड हो सकता है। हीरा के घर केंद्रीय मंत्री से लेकर कलक्टर तक गए और उसके इस अभियान की सराहना की। दरअसल हीरा ने अपने छोटे हाथों से नानी के लिए शौचालय बनाने की खातिर चार फीट गहरा गड्ढा खुरपी की मदद से खोद दिया। जैसे ही यह सूचना फैली लोगों ने उसे रोका। लेकिन, तेज ज्वर के बाद भी हीरा ने अपने निश्चय को पूरा किया। अब उसकी नानी बाहर नहीं जाती हैं गांव में कोहिनूर की तरह चमक रहे अपने नाती के बनाए शौचालय में जाती हैं।

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बताते हैं कि गांव की गीता देवी जीवन के अंतिम दौर में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छता अभियान के तहत जब शौचालय निर्माण कर भुगतान (सहयोग राशि) लेने की बात आई तो गीता के पास पैसे नहीं थे। उनका नाती हीरा कुमार (10 वर्ष) ननिहाल आया था। उसने मेहनत की और दो दिनों की कड़ी मेहनत के से खुरपी से ही शौचालय के लिए चार-चार फीट के दो गड्ढे खोद दिए। फिर क्या था अक्टूबर के अंत तक हीरा की नानी का शौचालय बनकर तैयार हो गया और उसपर लिखा गया 'हीरा की नानी का शौचालय'। इस नन्हें बालक की इस कोशिश को सभी ने बड़ी शिद्दत से लिया। हीरा के बारे में जानकारी मिलने के साथ केंद्रीय कृषि व कल्याण मंत्री राधामोहन ¨सह उससे मिलने उसकी नानी के घर गए। हीरा को पढ़ाई के लिए दस हजार देकर सम्मानित किया। साथ ही हीरा के प्रयास का लाभ यह हुआ कि उन्होंने इस गांव में सामूहिक शौचालय का निर्माण अपनी निधि से करने की घोषणा की। विधवा गीता के दोनों पुत्र रहते हैं बाहर विधवा गीता देवी के दो पुत्र हैं। दोनों पत्नी व बच्चों के साथ बाहर रहते हैं। गीता अकेले गांव में रहती हैं। बेटी नीला की शादी जगदीशपुर के जमुनिया गांव निवासी देवेंद्र साह से की है। देवेंद्र व नीला के दो पुत्रों में बड़े हीरा ने नानी के लिए सोचा और आज यह आलम है कि हीरा इस इलाके के लिए नजीर है। जीविका दीदी व पंचायत प्रतिनिधियों के अभियान से मिली प्रेरणा पांचवीं कक्षा के छात्र हीरा के शब्दों में - छुट्टी में नानी के घर आया था। यहां पंचायत प्रतिनिधि, जीविका दीदी और प्रशासनिक अधिकारियों के अभियान को देख मन में विचार आया। नानी के पास पैसे नहीं थे सो मैंने गड्ढा खोद दिया। अब मेरी नानी का शौचालय बन गया है। नाती ने समाप्त कर दी ¨चता गीता देवी बताती हैं कि वह ¨चतित थी कि बिना पैसे शौचालय कैसे बनेगा। यह देख नाती हीरा ने मन में ठान लिया कि खुद ही शौचालय बनाएगा। दो दिनों में खुरपी से ही दो गड्ढा खोद दिया। मेहनत के कारण उसे बुखार भी आ गया था। स्थानीय मुखिया प्रतिनिधि पन्नालाल साह समझाने आए पर नहीं माना। आज उसने मेरी ¨चता दूर कर दी है।


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