विश्वविद्यालय के छात्र व पुलिस के बीच झड़प
विभिन्न मांगों के समर्थन में मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने हंगामा किया।
मोतिहारी । विभिन्न मांगों के समर्थन में मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने मंगलवार को जमकर हंगामा किया। इस दौरान यहां के विशेष कार्य पदाधिकारी प्रशासन आशुतोष प्रशासन को बंधक बना लिया। छात्र-छात्राओं की टोली इस कदर आक्रोशित थी कि हंगामे की सूचना पर पहुंची पुलिस टीम से भी उलझ गई। बताया कि पुलिस टीम के एक अधिकारी छात्रा का वीडियो बना रहे थे। ऐसा करना कहीं से उचित नहीं था। बाद में पहुंचे नगर थानाध्यक्ष आनंद कुमार से भी तल्खी से बात की। देर शाम तक ओएसडी छात्रों के साथ ही रहे। छात्रों का कहना था कि विश्वविद्यालय परिसर में बाहरी लोगों का प्रवेश होता है। बाहरी लोग आते हैं और यहां के विद्यार्थियों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। कई घटनाएं ऐसी हुई हैं, जिनकी वीडियो क्लिप की जांच कराई जा सकती है। छात्रों का आरोप था कि शुल्क में बेतहाशा वृद्धि की गई है। छात्रों को परिचय पत्र नहीं मिल पाया है। बाहरी लोग आते हैं और हमारे प्रोफेसर को धमकाते हैं। यह अराजक स्थिति है। विवि परिसर में मंगलवार को पुलिस प्रवेश कर गई आखिर वह किसके आदेश पर पहुंची।
छात्रों ने बताया कि पिछले साल नवंबर महीने में हमने अपनी मांगों को विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष रखा था। उस मांग को पूरा करने के लिए दिसंबर अंतिम सप्ताह का समय दिया गया। लेकिन, मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। हमारे यहां बीमा के नाम पर शुल्क की वसूली की गई। इस दौरान कालेज के एक दिवंगत छात्र को राशि नहीं दी गई। इसके बाद 3 जून से लगातार आंदोलन चल रहा है। लेकिन, विश्वविद्यालय के कुलपति की ओर से आंदोलन समाप्ति की दिशा में कोई पहल नहीं की गई है। 15 जून से 16 जुलाई तक विवि में गर्मी की छुट्टी रही। इस दौरान छात्रों का प्रवेश वर्जित था। मंगलवार को जब हम यहां आए तो पता चला कि किसी भी विषय के एचओडी नहीं थे। नहीं डीन थे। पढ़ाई नहीं हुई। फिर हम आंदोलन करने लगे। इस बीच बाहर से एक व्यक्ति आया और उसने प्रहार कर दिया, जिसमें एक महिला प्रोफेसर को चोट लग गई। यह कहां का न्याय है। छात्र लगातार वीसी के खिलाफ नारेबाजी करते रहे।
पूरे आंदोलन के दौरान छात्र-छात्राओं ने यहां के ओएसडी प्रशासन को बंधक बनाए रखा। इस दौरान उनकी हालत खराब होती रही और वे विवि के प्रवेश द्वार पर ही जमीन पर कभी लेट जा रहे थे तो कभी थोड़ी देर के लिए बैठ रहे थे। इस दौरान कतिपय छात्र-छात्राओं ने उनके साथ उनके निजी जीवन की बातें भी की और उसको लेकर भी तंज कसे। लेकिन, तमाम कोशिशों के बीच ओएसडी ने कुछ भी बोलने से परहेज किया। मीडिया द्वारा काफी कोशिश के बाद उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि मैं बयान नहीं दे सकता। मैं इसके लिए अधिकृत नहीं हूं।
आंदोलन के दौरान आम छात्र-छात्राओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। विवि परिसर में आने के साथ कई छात्र लौट गए। वहीं यहां के प्राध्यापक भी खाली बैठे रहे।
छात्रों के आंदोलन के बीच यहां के प्राध्यापकों ने भी आंदोलन किया। शाम के वक्त वे सभी यहां मुख्य द्वार पर बैठ गए और ओएसडी प्रशासन को घेर लिया। इस दौरान कई प्राध्यापकों ने अनुशासनिक कार्रवाई का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह से कार्रवाई करते थे। अब क्या हो रहा है? अविलंब अपनी गलतियों को स्वीकार करिए और व्यवस्था को ठीक करिए।
विश्वविद्यालय के विभिन्न मांगों के समर्थन में आंदोलन कर रहे छात्र-छात्राओं की समस्या को लेकर विश्व विद्यालय के रघुननाथपुर स्थित कैंप कार्यालय में 20 जुलाई को एक बैठक बुलाई गई है। बैठक में छात्र-छात्राओं की समस्याओं के चर्चा के वक्त लंदन स्थित ब्रावो फार्मा के निदेशक राकेश पांडेय भी मौजूद रहेंगे। इस अवसर पर विवि के दिवंगत छात्र के परिजनों को दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता श्री पांडेय की ओर से दी जानी है। बच्चों ने कहा कि बैठक की सूचना मिली है। लेकिन, इसमें पांच ही छात्रों को आने की अनुमति दी गई है। यह गलत है।