शार्क देशों में चंपारण के सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र की धूम
मोतिहारी। सच की कहा गया है-जहां चाह वहीं राह। इस उक्ति को सैंड आर्टिस्ट (रेत कलाकार) मधुरेंद्र ने चरितार्थ किया है। मधुरेंद्र ने अपनी बेमिसाल कलाकारी का नमूना पेशकर शार्क देशों में भी अपनी प्रतिभा की धूम मचा दी है।
मोतिहारी। सच की कहा गया है-जहां चाह, वहीं राह। इस उक्ति को सैंड आर्टिस्ट (रेत कलाकार) मधुरेंद्र ने चरितार्थ किया है। मधुरेंद्र ने अपनी बेमिसाल कलाकारी का नमूना पेशकर शार्क देशों में भी अपनी प्रतिभा की धूम मचा दी है। ओड़िशा के चंद्रभागा समुद्र तट पर पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय रेत कला उत्सव में जिले के घोड़ासहन बिजबनी गांव निवासी युवा रेत कलाकार मधुरेंद्र कुमार ने बिहार का नाम अंतरराष्ट्रीय फलक पर रौशन किया है। मधुरेंद्र ने शार्क देशों के बीच से इंटरनेशनल अवार्ड जीत कर दुनियाभर में अपनी कला का परचम लहराया हैं। यहां बता दें कि उत्सव के समापन अवसर पर ओड़िसा सरकार की गठित टीम ने मधुरेंद्र द्वारा बनाई गई सैंड आर्ट की पांचों कलाकृतियों को चिह्नित कर प्रथम पुरस्कार के लिए चयन किया। उत्सव के दौरान मधुरेंद्र द्वारा बनाई गई सभी पांच कलाकृतियों में समाज को संदेश दिया गया है। सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र को कोणार्क फेस्टिवल के मुख्य मंच से तीस हजार का चेक, प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिह्न व पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया। इधर मधुरेंद्र की इस सफलता पर उनके ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ रही हैं। हर तरफ मधुरेंद्र की चर्चा है। सभी उसके आने के इंतजार कर रहे है। उक्त अवसर पूर्व विधायक पवन जायसवाल, जिप सदस्य सीमा देवी, जदयू नेता सह समाजसेवी रामपुकार सिन्हा, प्रभुनारायण, डीएन कुशवाहा, ई. मुन्ना कुमार, अरुण पंडित, अमीन रामप्रीत साह, डॉ. राजदेव प्रसाद, विमल प्रसाद समेत सैकड़ों लोगों ने मधुरेंद्र को दूरभाष पर बधाई दी। वहीं उसे सम्मानित करने की योजना भी बन रही हैं।
परिस्थिति और हालात ने दिलाई ख्याति
सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र का जन्म उनके ननिहाल बरवा कला में पांच सितंबर 1994 को हुआ, वहीं इनका पालन पोषण हुआ। वे पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। मधुरेंद्र कीे प्रारंभिक शिक्षा बाबा नरसिंह के रमना नामक आश्रम में हुई। आश्रम के सामने एक छोटा तालाब था, उसमें हंस की झुंड रोज तैरते थे। एक दिन उसने तालाब में तैरते सभी हंस को अपने स्लेट पर पेंसिल से बना दिया। उसके बनाए हुए इस मनमोहक और सुंदर तस्वीर को देख बाबा नरसिंह ने उनकी कला-प्रतिभा को पहचान लिया। मगर, परिवार के लोग उनसे खुश नहीं थे। कारण पढ़ाई से ज्यादा कलाकारी में मन लगाया। इस कारण उनकी पढ़ाई विधिवत नहीं हो पाई।
पद्मश्री सुदर्शन पटनायक ने भी माना लोहा
ओड़िसा के कोणार्क में स्थित चंद्रभागा तट पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय रेत कला उत्सव 2019 में विश्वविख्यात सैंड आर्टिस्ट पद्मश्री सुदर्शन पटनायक के सानिध्य में भारत की ओर से बिहार के लाल मशहूर रेत कलाकार मधुरेंद्र कुमार ने प्रतिनिधित्व किया। श्रीलंका, यूएसए, भूटान, रूस, जापान तथा थाईलैंड सहित दस देशों के कलाकारों के साथ छठ-पूजा की कलाकृति बनाकर कर अपनी कला व बिहार की सोंधी मिट्टी की खुशबू का एहसास करा दिया था। उसे देख ओड़िसा गवर्नर प्रो. गणेशी लाल व सुदर्शन पटनायक ने भी मधुरेंद्र की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। मधुरेंद्र नेपाल के विश्वप्रसिद्ध गढ़ीमाई मेला, सोनपुर मेला व सरकारी महोत्सव तथा देश-प्रदेश के विभिन्न छोटे-बड़े शहरों में भी अपनी कला प्रदर्शन कर चुके हैं।
पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने की थी सराहना
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने वर्ष 2012 में मधुरेंद्र द्वारा बनाई गई विकसित देश भारत में विज्ञान के विकास के महत्व पर आधारित कलाकृति को देख प्रसंशा की थी। वहीं राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और ओड़िसा गवर्नर प्रो. गणेशी लाल सहित बड़े-बड़े राजनेताओं व वरीय प्रशासनिक अधिकारियों तथा देश-विदेश के सैलानियों को भी अपनी कला का लोहा मनवा चुके हैं। सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र 2019 के लोकसभा चुनाव में ब्रांड अंबेसडर रह चुके हैं। इसके अलावा इंटरनेशनल सैंड आर्ट फेस्टिवल अवार्ड, राष्ट्रपति सम्मान, भारत-नेपाल मैत्री संबंध सम्मान, फ्रेंडशिप ऑफ इंडिया एंड अमेरिका सम्मान, वैश्विक शांति पुरस्कार, बिहार गौरव अवार्ड, विश्वप्रसिद्ध सोनपुर मेला सम्मान, बिहार रत्न, शाहिद सम्मान, कला सम्राट सम्मान, आम्रपाली पुरस्कार, चंपारण रत्न, वैशाली गणराज्य सम्मान, केसरिया महोत्सव सम्मान, बांका महोत्सव सम्मान, चंपारण गौरव अवार्ड, बौद्ध महोत्सव सम्मान, वैशाली महोत्सव सम्मान, मिस्टर चंपारण, राजगीर महोत्सव सम्मान, थावे महोत्सव सम्मान, आईकॉन ऑफ चंपारण, मगध रत्न अवार्ड व युथ आइकॉन अवार्ड सहित सैकड़ों से ज्यादा पुरस्कार इनके झोली में हैं।