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पीएचसी में केमिकल के अभाव में सीबीसी जांच प्रभावित

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जांच के लिए रखी सीबीसी (कंप्लीट ब्लड काउंट) मशीन शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। यह मशीन केमिकल तत्व के अभाव में करीब दो माह से बंद है। सरकार द्वारा गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के इलाज के लिए करीब 15 लाख रुपये की लागत से मशीन लगाई गई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 12:22 AM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 12:22 AM (IST)
पीएचसी में केमिकल के अभाव में सीबीसी जांच प्रभावित

रक्सौल । प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जांच के लिए रखी सीबीसी (कंप्लीट ब्लड काउंट) मशीन शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। यह मशीन केमिकल तत्व के अभाव में करीब दो माह से बंद है। सरकार द्वारा गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के इलाज के लिए करीब 15 लाख रुपये की लागत से मशीन लगाई गई है। जिससे एक साथ खून में मौजूद लाल रक्त, सफेद रक्त कणिकाएं और प्लेटलेट्स की संख्या व उनका आकार देखा जाता है। इसके साथ ही ब्लड से जुड़ी कई बीमारियों की जानकारी देता है। खासकर थकान, कमजोरी, बुखार, शरीर में खून की कमी आदि की स्थिति में ब्लड से संबंधित जांच कराई जाती है। जिसमें एक सैंपल से सहित करीब आठ से नौ प्रकार की जानकारी एक साथ मिलती है। प्राप्त जानकारी अनुसार पीएचसी में यह मशीन एक संस्था द्वारा लगाई गई है। जो प्रतिमाह जांच के लिए केमिकल तत्व पीएचसी को उपलब्ध कराती है। जिसकी आपूर्ति पिछले दो माह से नहीं हो रही है। इसको लेकर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों से इलाज के लिए पहुंच रहे लोगों को निजी जांच घरों का सहारा लेना पड़ रहा है। जिसे गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की परेशानी बढ़ गई है। वर्षो से नहीं मिल रही है अल्ट्रासाउंड और एक्सरे की सुविधा शहर के मुख्य पथ स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में वर्ष 2018 के 26 अप्रैल से अल्ट्रासाउंड व एक्सरे की सेवा बंद है। चिकित्सकों के अनुसार प्रसव पूर्व जांच, स्टोन या फिर पेट संबंधी कई अन्य बीमारियों की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड कराना आवश्यक होता है। वहीं चोट लगने या फिर कई अन्य कारणों से हड्डी के टूटने, छाती में कई तरह की समस्याओं के विषय में जानकारी के लिए एक्सरे कराया जाता है। जिसके बंद होने से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसका सबसे बुरा असर प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा योजना के तहत प्रत्येक माह के नौ तारीख को होने वाले जांच अभियान पर पड़ रहा है। मां के गर्भ में बच्चे की स्थिति को जानने के लिए अल्ट्रासाउंड जरूरी है। जिसके आधार पर प्रसव संबंधी जानकारी प्राप्त होती है। इसके साथ और भी कई तरह के जांच है जिनके के लिए अल्ट्रासाउंड व एक्सरे की आवश्यकता होती है। बताया जाता है कि बिहार सरकार एवं आइजीइएमएस पटना के बीच सरकारी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड व एक्सरे सुविधा देने का कांट्रेक्ट था। जिसके द्वारा उक्त कंपनी अस्पतालों में सुविधा देती थी। लेकिन, बीते 26 अप्रैल को कंपनी का कॉन्ट्रेक्ट समाप्त हो गया। जिसके कारण अस्पताल में यह सेवा बाधित है। कहते हैं प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी प्रभारी प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शरतचंद्र शर्मा ने बताया कि केमिकल की आपूर्ति के लिए सदर अस्पताल को इंडेंट बनाकर भेज दिया गया है। आपूर्ति होते ही सीबीसी मशीन से जांच कार्य शुरू हो जाएगा। वहीं सरकारी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड व एक्सरे की सुविधा देने के लिए बीएमआइएसएल द्वारा खरीद कर भेजा जा रहा है। इसके साथ ही चिकित्सकों को नियुक्ति की जा रही है। सरकार द्वारा मशीन की आपूर्ति के बाद यह सेवा पीएचसी में बहाल कर दी जाएगी।

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