महज चार कमरों में पढ़ते नामांकित 472 बच्चे
मोतिहारी। सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र सुधार के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। मगर अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ रहा है। विद्यालयों में आज भी कई तरह की समस्याएं हैं।
मोतिहारी। सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र सुधार के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। मगर अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ रहा है। विद्यालयों में आज भी कई तरह की समस्याएं हैं। भवन, उपस्कर, खेल मैदान, चाहारदीवारी आदि की कमी भी नजर आती है। शिक्षकों की कमी भी एक समस्या है। विद्यालय स्तर पर मनमानी की बातें भी सामने आती रहती हैं। बहरहाल, दैनिक जागरण की टीम ने ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड के तहत उत्क्रमित मध्य विद्यालय लाल छपरा का जायजा लिया। विद्यालय की चाहारदीवारी से बाहर पेड़ के नीचे बच्चे बोरे पर बैठे नजर आए। वहां शिक्षक भी मौजूद थे। हमने बाहर बैठने का कारण पूछा। इस बीच प्रभारी प्रधानाध्यापक मो. अमानुल्लाह भी वहां आ गए। उन्होंने बताया कि विद्यालय में कार्यालय सहित कुल छह कमरे हैं। जबकि आठ कक्षाओं की पढ़ाई होती है। पांच कक्ष में से एक कक्ष में आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन किया जाता है। ऐसी स्थिति में चार कमरे में आठ वर्ग की पढ़ाई कैसे हो। इसलिए बच्चों को पेड़ के नीचे बैठाना पड़ता है। बातचीत के क्रम में एचएम ने बताया कि विद्यालय में कुल 472 बच्चे नामांकित हैं। इनमें से 360 उपस्थित हैं। यहां कुल 12 शिक्षक पदस्थापित हैं। परिसर में तीन चापाकल हैं। इनमें से दो चालू हैं। वहीं, शौचालयों की संख्या चार है।
कैंपस छोटा, बच्चे ज्यादा
हमने विद्यालय परिसर का जायजा लिया। छोटे से परिसर में बच्चों की संख्या ज्यादा नजर आई। कुछ कक्षाओं में अधिक बच्चों के कारण सेक्शन में विभक्त किया गया है। हम वर्ग 6 की ओर बढ़े। एक कमरे में करीब 60 से अधिक बच्चे बैठे थे। प्रधानाध्यापक ने बताया कि इस वर्ग में नामांकित बच्चों की संख्या 98 है। सेक्शन भी बंटा हुआ है, लेकिन कमरा नहीं होने के कारण मजबूरी में सभी साथ ही बैठे हैं। इस तरह की परेशानी से दूसरी कक्षाओं के बच्चे भी जूझ रहे हैं। वर्ग 7 में 82, वर्ग 8 में 85, वर्ग 5 में 66 एवं वर्ग 4 में 48 बच्चे नामांकित हैं। बच्चों के हिसाब से शिक्षक की संख्या ठीक है। विद्यालय में 12 शिक्षक हैं। शिक्षकों द्वारा बताया गया कि दूसरे के बगीचे में बैठा कर पढ़ाया जाता है। बच्चों के खेलने के लिए भी जगह नहीं है। हमने बच्चों से भी बातें की। कुछ प्रश्न भी पूछे। विषय से संबंधित जानकारी ठीकठाक थी, मगर सामान्य ज्ञान कमजोर दिखा। कक्षा सात की एक छात्रा से बिहार के मुख्यमंत्री का नाम पूछा तो वह नहीं बता सकी। पहाड़ा में भी कठिनाई थी। शिक्षक दिवस के बारे में भी उन्हें कुछ नहीं पता था। हमने एमडीएम की भी पड़ताल की। निर्धारित मेनू के अनुसार रसोइया द्वारा भोजन की तैयारी की जा रही थी।
बयान
विद्यालय में सबसे बड़ी समस्या कमरों की है। बारिश के समय बच्चों को बहुत ही परेशानी होती है। खेल मैदान का भी अभाव है। शिक्षा का स्तर बेहतर हो इसके लिए हर संभव कोशिश की जा रही है।
- मो. अमानुल्लाह, प्रभारी प्रधानाध्यापक