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'अवाम को शिक्षित बनाने में विफल व्यक्ति को शासन में रहने का अधिकार नहीं'

मोतिहारी। वह शासन व्यवस्था जो अपने आम आवाम को शिक्षित करने में असफल है उसे शासन में बने रहने का कोई

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Jul 2017 11:32 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jul 2017 01:43 AM (IST)
'अवाम को शिक्षित बनाने में विफल व्यक्ति को शासन में रहने का अधिकार नहीं'
'अवाम को शिक्षित बनाने में विफल व्यक्ति को शासन में रहने का अधिकार नहीं'

मोतिहारी। वह शासन व्यवस्था जो अपने आम आवाम को शिक्षित करने में असफल है उसे शासन में बने रहने का कोई अधिकार नही है ।आज एक भी सरकारी कर्मचारी का बच्चा सरकारी विद्यालयों में नही पढ़ता। उसके लिए अलग स्कूल व शिक्षा नीति है। सरकार के शीर्ष पर बैठे लोगों ने शिक्षा के व्यवसायीकरण में खुलकर सहयोग किया है। नतीजा यह है कि भारत मे दो शिक्षा नीति कार्य कर रही है। गरीबों के लिए अलग व अमीरों के लिए अलग। उपरोक्त बातें गणेश कुशवाहा ने गुरुवार को ग्राम सत्याग्रह संगठन के बैनर तले एक राष्ट्र एक शिक्षा नीति की मांग को लेकर प्रखंड कार्यालय मेहसी पर आयोजित धरना को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था से गरीबों के मेधावी बच्चों के साथ अन्याय हो रहा है ।उन्होंने सरकारी सेवकों व निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने की मांग की। कहा कि या तो वे ऐसा करें अन्यथा पद छोड़ें। धरना की अध्यक्षता व संचालन श्री कुशवाहा ने किया। धरना के अंत मे प्रधान सहायक को उच्च शिक्षा में छात्रों को छात्रवृत्ति, आरक्षण को पूरा करने की समुचित व्यवस्था आदि सहित कुल छ:ह सूत्री मांग पत्र सौंपा गया। मांग पत्र की छाया प्रति राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री बिहार सरकार को भेजी गई। धरना को नरेश भगत, मुकेश कुमार, राजमंगल प्रसाद, लालदेव पासवान, महेश कुशवाहा, कुंदन कुमार चौबे, सुरेंद्र सहनी, रंजीत कुमार श्यामबाबू यादव, पारस नाथ अंबेडकर, रामसेवक राम आदि ने संबोधित किया।

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