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बैंक स लोने लय क काज करतय, आब दोसर राज्य नय जेतय

दरभंगा। लॉकडाउन में नौकरी छूटने के बाद गांव पहुंच रहे प्रवासियों के कारण गांवों की रौनक बढ़ गई है। लॉकडाउन से पहले क्षेत्र में अधिकांश गांवों से रोजगार की तलाश में श्रमिकों और युवाओं को पलायन कर जाने से गांवों में लोगों की चहल-पहल कम देखी जा रही थी। लेकिन अब चहल-पहल बढ़ गई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 12:11 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 06:11 AM (IST)
बैंक स लोने लय क काज करतय,  आब दोसर राज्य नय जेतय
बैंक स लोने लय क काज करतय, आब दोसर राज्य नय जेतय

दरभंगा। लॉकडाउन में नौकरी छूटने के बाद गांव पहुंच रहे प्रवासियों के कारण गांवों की रौनक बढ़ गई है। लॉकडाउन से पहले क्षेत्र में अधिकांश गांवों से रोजगार की तलाश में श्रमिकों और युवाओं को पलायन कर जाने से गांवों में लोगों की चहल-पहल कम देखी जा रही थी। लेकिन, अब चहल-पहल बढ़ गई है। गांवों के चौक-चौराहों पर लोग शारीरिक दूरी बनाकर दूसरे राज्यों में किस तरह जीवन-यापन करते हैं, इसकी चर्चा आपस में करते हैं। दूसरे राज्यों से आए अधिकांश लोगों को अब अपने गांव की मिट्टी की खुशबू का महत्व समझ में आई है। गांव में अब जनजीवन पूरी तरह सामान्य हो गया है। अधिकांश लोग अब खेतीबारी में जुट गए हैं। दूसरे राज्यों से अपने-अपने घर लौटने से गांवों के वैसे वृद्ध माता-पिता भी इन दिनों काफी प्रसन्न दिख रहे हैं, जो पुत्र रोजगार की तलाश में परदेस चले जाने के कारण घरों में अकेले रह रहे थे। वैसे वृद्ध माता-पिता ने बताया कि आब हमर बेटा नय कतउ जेतय, गामे में कमेतय-खटेतय, नय हेतय त बैंक स लोने लय क काज करतय। दैनिक जागरण की टीम ने मंगलवार को गांव-गिरांव के तहत खिरोई व अधवारा समूह नदी के बीच में बसे केवटी प्रखंड की बरिऔल गांव का जायजा लिया, तो देखा कि गृहिणी सोनी कुमारी झा लॉकडाउन का पालन करते हुए शारीरिक दूरी बना बच्चों को घर पर पढ़ा रही थी। पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि वे बच्चों को पढ़ाने के अलावा कोरोना महामारी से बचाव के लिए शारीरिक दूरी और स्वच्छता के संबंध में जानकारी दे रही है। कोलकाता में सपरिवार रह रहे बैद्यनाथ झा ने बताया कि लॉकडाउन के पहले अपनी चाची उर्मिला देवी के श्राद्धकर्म में गांव आए थे। श्राद्धक्रम 22 मार्च को समाप्त होने के बाद कोलकाता वापस लौटना था। लॉकडाउन ने रास्ता रोक दिया और गांव में ही फंस गए। कोलकाता में ऑटो चलाकर जीवन-यापन करते हैं। कोलकाता में पत्नी सोनी झा, पुत्र विवेक कुमार, विक्की कुमार व पुत्री परी कुमारी की चिता हमेशा सता रही है। दिल्ली में एक निजी कंपनी में सेल्स अधिकारी के पद पर कार्यरत विश्वमोहन झा ने बताया कि पारिवारिक कार्य को लेकर लॉकडाउन के पहले वहां से गांव आया था। कार्य समाप्ति के बाद जब वापस दिल्ली जाने की तैयारी की तो लॉकडाउन ने रास्ता रोक दी। अब करीब दो माह से अधिक समय घर पर बिताने के बाद पारिवारिक व सामाजिक मोह कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। लक्ष्मण पासवान ने बताया कि सरकार को गांवों में रोजगार की व्यवस्था करनी चाहिए। गांवों में मनरेगा योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा श्रमिकों को रोजगार मिले इस पर सरकार को विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। नौकरी छूटने के बाद श्रमिक व नौजवान गांव तो चले आए हैं। लेकिन, यहां रोजगार नहीं मिलने के कारण उनमें निराशा है। मो. मिर्जा गालिब ने बताया कि सरकार को चाहिए कि दरभंगा जिले के बंद पड़े रैयाम चीनी मिल व अशोक पेपर मिल को जल्द चालू करवाकर लोगों को रोजगार उपलब्ध कराएं। ताकि, इस जिले के श्रमिकों और युवाओं को रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में जाना नहीं पड़े।

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