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आजादी की लड़ाई को याद कर आंखों से छलक जाते आंसू

बहेड़ा थाना क्षेत्र के नवादा गांव का जर्जर खादी भंडार आजादी के कहानी का गवाह है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Jan 2019 01:40 AM (IST)Updated: Sat, 26 Jan 2019 01:40 AM (IST)
आजादी की लड़ाई को याद कर आंखों से छलक जाते आंसू

दरभंगा । बहेड़ा थाना क्षेत्र के नवादा गांव का जर्जर खादी भंडार आजादी के कहानी का गवाह है। देखरेख के अभाव में खादी भंडार की हालत खराब है। बताते हैं कि आजादी के समय इस खादी भंडार में चरखा पर सूत कताई का कार्य नवादा गां की पतोहू फूलमाया देवी के नेतृत्व में होता था। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने खादी भंडार पहुंचकर फूलमाया देवी को बेहतरीन सूत कताई के लिए सम्मानित भी किया था। आजादी के बाद पूरे देश के विभिन्न जगहों पर चरखा पर सूत कताई प्रतियोगिता आयोजित होती रही। प्रतियोगिता में फूलमाया देवी प्रथम स्थान प्राप्त करती रही। प्रतियोगिता तीन श्रेणियों में होती थी। महीन सूत कताई, गति कताई एवं पारिश्रमिक कताई। जबतक देश के विभिन्न भागों में प्रतियोगिता होती रही फूलमाया देवी का स्थान प्रथम रहा। विभिन्न प्रतियोगिता में सफलता हासिल करने वाली फूलमाया देवी पर स्वर्ण पदकों की वर्षा होती रही। तब फूलमाया देवी को प्रथम राष्ट्रपति और प्रथम प्रधानमंत्री ने एक-एक शील्ड प्रदान किया था। फूलमाया के नेतृत्व में खादी भंडार में आजादी के वर्षों बाद तक चरखा पर महीन सूत कताई का प्रशिक्षण महिलाओं को दिया जाता था। लगभग 80 वर्ष पूर्व इस खादी भंडार के भवन का निर्माण कार्य नवादा के ग्रामीणों ने चंदा इकठ्ठा कर कराया था। बाद में राज्य खादीग्राम उद्योग ने इसे अपने अधीन कर लिया तो इस भवन को और सुसज्जित किया गया। राज्य खादी निगम द्वारा वर्षों तक भवन के रखरखाव के लिए फंड भी दिया जाता रहा। लेकिन, पिछले दो दशक से किसी भी तरह का फंड इस खादी भंडार को नहीं मिला है। भवन की मरम्मत नहीं कराए जाने से यह जर्जर अवस्था में पहुंच गया है। फूलमाया देवी के परिजन रामकुमार झा बब्लू कहते हैं कि ऐतिहासिक खादी भंडार सरकार की उपेक्षा का दंश झेल रहा है। वर्षों से चरखा पर सूत कताई बंद है। वयोवृद्ध रमानंद झा, जितेंद्र कुमार उर्फ लालबाबू ने कहा कि इस खादी भंडार का इतिहास काफी समृद्ध है। लेकिन, वर्तमान कुंद है। स्व. हरिशचंद्र झा ने खादी भंडार के जीर्णोद्धार के लिए काफी प्रयास किया। लेकिन, आज तक सफलता शून्य है।

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