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सावन में शिवचर्चा, उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

सावन के पावन महीने में रविवार को शहर के मिर्जापुर में आयोजित शिवगुरु चर्चा पूरा माहौल शिवमय हो उठा।

By Edited By: Published: Mon, 01 Aug 2016 01:15 AM (IST)Updated: Mon, 01 Aug 2016 01:15 AM (IST)
सावन में शिवचर्चा, उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

दरभंगा। सावन के पावन महीने में रविवार को शहर के मिर्जापुर में आयोजित शिवगुरु चर्चा पूरा माहौल शिवमय हो उठा। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। इसको लेकर पूरा माहौल भक्तिमय बना हुआ था। पंकज कुमार मेहता और उनके पारिवारिक सदस्य वीणा मेहता, अंकुर मेहता, अमिषा उर्फ जूही मेहता, अरुण कुमार मेहता की तरफ से शिव चर्चा आयोजित की गई थी। शिव शिष्य रमण प्रधान, ताराकांत सिन्हा, अरुण कुमार, मनोज कुमार, गुड़िया गुप्ता, रेणु मेहता, राजकिशोर मंडल व मंटू गुरुभाई ने शिव चर्चा की महता पर प्रकाश डाला। मौके पर शिव गुरु भाईयों ने कहा कि शिव आज भी गुरु हैं। उनकी कृपा के बिना कुछ भी संभव नहीं। जो शिव को अपना गुरु मानकर सच्चे मन से उनकी आराधना करते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती है। वहीं शिव गुरु बहनों ने भक्तिमय गीत प्रस्तुत कर शिव भक्ति की बयार बहा दी तो लोग झूमने को मजबूर हो गए।

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शिव-शिष्य बनने की अपील

श्रद्धालुओं ने जगत गुरू भगवान शिव की अर्चना की। साहबश्री हरीन्द्रानंद जी ने शिव-शिष्यों को तीन सूत्र बताए। पहला-'हे शिव आप मेरे गुरु हैं, मैं आपका शिष्य हूं, मुझ शिष्य पर दया कर दीजिए'।'दूसरों को भी यह संदेश देना कि,'शिव मेरे गुरु हैं, आपके भी हो सकते हैं','अपने गुरु को प्रणाम निवेदित करने की कोशीश करना। चाहे तो नम: शिवाय का प्रयोग कर सकते हैं।'

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शिव को ही गुरु क्यों बनाएं

गुरु भाई-बहनों ने परिचर्चा में कहा कि लोग किसी संत महात्मा को अपना गुरु बना लेते हैं, या घर की हमेशा से चली आ रही परंपरा के अनुसार किसी कुल गुरु को गुरु मानते हैं। इंसानी गुरु जो होते हैं, उनकी एक सीमा होती है, वो तो खुद इंसान हैं चाहे कितने भी धार्मिक या पहुंचे हुए क्यों न हों। और उन इंसानी गुरुओं के खुद भी तो कोई अपने गुरु रहे होंगे। उन्होंने अपने गुरु से सीखा, फिर अपने शिष्यों को सिखा रहे। यानी खुद भी कहीं से सिख कर ही सिखा रहे। ऐसे में हमारे और भगवान के बीच कोई तीसरा आ जाता है। इंसानी गुरु भी तो आखिर महादेव को ही पूजते हैं तो हम इतनी लंबी सीढि़यां चढ़ कर क्यों जाएं महादेव के पास। किसी और के द्वारा क्यों जाएं। क्यों ना, हम सीधा शिव जी को ही अपना गुरु बना लें? शिव तो जगत के गुरु हैं। वो शिव जी जिन्होंने जीवन और इंसान के मन को बनाया है, उनसे बेहतर कौन सिखा सकता है जीवन जीने की कला और इस मन को काबू करना।

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