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कुर्बानी का त्योहार बकरीद आज, तैयारी पूरी

दरभंगा। अल्लाह की राह में अपनी प्यारी से प्यारी वस्तु भी कुर्बान कर देने के जज्बे का प्रतीक ईद उल अजहा बकरीद का त्योहार सोमवार की सुबह मनाया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 12:52 AM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 06:31 AM (IST)
कुर्बानी का त्योहार बकरीद आज, तैयारी पूरी
कुर्बानी का त्योहार बकरीद आज, तैयारी पूरी

दरभंगा। अल्लाह की राह में अपनी प्यारी से प्यारी वस्तु भी कुर्बान कर देने के जज्बे का प्रतीक ईद उल अजहा बकरीद का त्योहार सोमवार की सुबह मनाया जाएगा। त्योहार को लेकर रविवार को बाजार खुले रहे। रेडीमेड कपड़ों के अलावा किराना सामग्री और मसाले की दुकानों पर लोगों का हुजूम खरीदारी में जुटा रहा। मस्जिदों की सफाई की जाती रही। ईदगाहों में भी नमाज की तैयारियां चल रही थी। बारिश को देखते हुए ईदगाहों के अलावा मस्जिदों में भी नमाज पढ़ी जाएगी। मस्जिदों या ईदगाह में नमाज का समय भी निर्धारित कर दिया गया है। सभी मस्जिदों और ईदगाहों में सुबह 7:00 बजे से लेकर 8:00 बजे के बीच नमाज अदा की जाएगी। मिल्लत कॉलेज के फजीलत कॉलोनी स्थित मस्जिद के इमाम मौलाना हुसैन अहमद मदनी ने कहा कि ईद उल अजहा का त्योहार इस्लाम की आमद से पहले भी मनाया जाता था। यह सुन्नते इब्राहिमी है। जिसमें अल्लाह के पैगंबर ने अल्लाह की रजा के लिए अपने सबसे प्यारे बेटे हजरत इस्माइल की कुर्बानी देने का इरादा किया और उस बेटे ने भी आप अपने पिता की इच्छा में अपना सर झुका दिया। इस त्योहार का यही संदेश है कि अल्लाह के राह में अपनी सबसे प्यारी चीज की भी कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटना चाहिए। यहां तक कि वह आपका सबसे प्रिय बेटा भी क्यों ना हो। इसके अलावा दूसरा संदेश जो जाता है वह यह है कि एक पुत्र अपनी गर्दन कटाने के लिए अपने पिता के हुक्म के आगे अपना सिर झुका देता है। बाप की आज्ञा का पालन करना और अल्लाह की राह में अपना सब कुछ कुर्बान कर देने का जज्बा इस संसार के लिए बहुत बड़ा संदेश है। बकरीद के त्योहार में हम अपने इसी संकल्प को दोहराते हैं। उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी उमस और वर्षा के मौसम को देखते हुए पूरे शहर में सुबह 7:00 बजे से लेकर 8:00 बजे के बीच नमाज अदा करने का समय निर्धारित किया गया है। उन्होंने लोगों से एक बार फिर कहा कि पशु की कुर्बानी का हर अंश पवित्र है। इसे इधर उधर फेंकना गुनाह है। इसलिए अवशेष को मिट्टी के नीचे दबा देना जरूरी है जिससे कि चील, कौवे या कुत्ते आदि इसे छू भी नहीं पाए।

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