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कमजोर वर्ग से संबंधित मामलों की नियमित करें समीक्षा : एडीजी

दरभंगा। अपर पुलिस महानिदेशक (कमजेार वर्ग) अनिल किशोर यादव ने शुक्रवार को समाहरणालय सभागार में मिथिला क्षेत्र के सभी पुलिस पदाधिकारियों के साथ बैठक कर कमजोर वर्ग से जुड़े मामलों की नियमित समीक्षा करने का निर्देश दिया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 12:03 AM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 12:03 AM (IST)
कमजोर वर्ग से संबंधित मामलों की नियमित करें समीक्षा : एडीजी
कमजोर वर्ग से संबंधित मामलों की नियमित करें समीक्षा : एडीजी

दरभंगा। अपर पुलिस महानिदेशक (कमजेार वर्ग) अनिल किशोर यादव ने शुक्रवार को समाहरणालय सभागार में मिथिला क्षेत्र के सभी पुलिस पदाधिकारियों के साथ बैठक कर कमजोर वर्ग से जुड़े मामलों की नियमित समीक्षा करने का निर्देश दिया। कहा कि पीड़ितों को सही न्याय मिलें इसके लिए अनुसंधानकर्ता को हर मामले की जांच में पारदर्शिता रखकर अनुसंधान करना होगा। पर्यवेक्षण पदाधिकारियों को इस तरह के मामले में विशेष नजर रखने को कहा। ताकि, पीड़ितों को सही न्याय मिलें और एक भी निर्दोष फंसे नहीं। इसे लेकर अनुसंधानकर्ताओं को कांडों की जांच हर पहलुओं पर निष्पक्ष ढंग से करने को कहा। मिथिला क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक अजिताभ कुमार सहित दरभंगा, मधुबनी औ समस्तीपुर जिले के पुलिस पदाधिकारियों की मौजूदगी में एससीएसटी, महिला उत्पीड़न, दुष्कर्म, पॉक्सो आदि से जुड़े लंबित मामलों की समीक्षा की। कमजोर वर्ग के लोगों के लिए बनें कानून में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में उन्होंने जानकारी देने को कहा। दो सत्र में आयोजित बैठक में एडीजी ने पुलिस पदाधिकारियों को कानून का पाठ भी पढ़ाया। भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 से अवगत कराते हुए कहा कि किसी भी मामले की पूरी तहकीकात के बाद ही अग्रेतर कार्रवाई करें। सात साल से कम सजा वाले मामले में अभियुक्त को जमानत देने का प्रावधान किया गया है । इसके संबंध में पूर्व में ही आदेश जारी किया गया है । लेकिन, इसका सही अनुपालन नहीं हो रहा है। कहा कि अभियुक्त को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के तहत किन परिस्थितियों में जमानत देनी है या नहीं देनी है यह जानना जरूरी है। इसके लिए उन्होंने ट्रेनिग की आवश्कता बताई। उन्होंने बताया कि पुलिस मुख्यालय कि यह प्राथमिकता है कि कमजोर वर्ग के लोगों से जुड़े मामलों की नियमित समीक्षा हो और उन्हें न्याय सुनिश्चित हो । समीक्षा होने से निर्दोष नहीं फंसते हैं बल्कि, जांच का स्तर गुणवत्तापूर्ण होने के साथ मामले का त्वरित निष्पादन भी होता है।

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