मैथिली की पौराणिक कथाओं और फिल्मों पर रिसर्च कर रहे अभिषेक
केवटी निवासी अभिषेक कुमार बॉलीवुड में राइटिग और डायरेक्शन के क्षेत्रों में मिथिला का नाम रोशन कर रहे हैं।
दरभंगा। केवटी निवासी अभिषेक कुमार बॉलीवुड में राइटिग और डायरेक्शन के क्षेत्रों में मिथिला का नाम रोशन कर रहे हैं। रनवे-केवटी सीएचसी में पदस्थापित एएनएम हीरा कुमारी व ग्रामीण चिकित्सक लक्ष्मण कुमार शाही के पुत्र अभिषेक कुमार 12वीं पास करने के बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए कोलकाता चले गए। वे कोलकाता विश्वविद्यालय से बीबीए की डिग्री हासिल करने के बाद बॉलीवुड में करियर बनाने का निर्णय लिया और मुंबई शिफ्ट हो गए। अभिषेक बड़े बैनर की फीचर फिल्म मार्कशीट और बाबड़ी में असिस्ट कर बॉलीवुड में अपना डेब्यू किया। कोलकाता में अभिषेक को बंग्ला फिल्म इंडस्ट्री को नजदीक से जानने का मौका मिला। इसी दौरान चर्चित निर्भया कांड पर बन रही फिल्म की लेखन करनेवाली टीम में अभिषेक का चयन किया गया और उन्होंने अपनी प्रतिभा की अच्छी छाप छोड़ी। ये फिल्म अभिषेक के करियर के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। इसके बाद कोलकाता से वे दिल्ली चले आए और वहां दो वर्ष तक अस्मिता थियेटर से जुड़कर एक्टिग की बारीकियों को सीखा और उसके बाद वे मुंबई की ओर रुख कर गए। लेकिन, शुरू में उसके इस फैसले से घर के लोग खुश नहीं थे। मगर, बचपन से ही कहानियों और फिल्मों की सपनों की दुनिया मे जीने वाले इस प्रतिभावान लेखक सह निदेशक का मन मुंबई जाने के लिए पहले ही तय कर रखा था। इस बीच अभिषेक ने मार्टिन स्कोरसेसे, डेविड लिन्थ और आरोना सोरकिन जैसे विश्वविख्यात फिल्म मेकरों से राइटिग और डायरेक्शन का ऑनलाइन क्लास लिया। मुंबई पहुंचने के बाद शॉट फिल्म सक्सेसफुल लव स्टोरी, अरोमा, मैन ऑफ मिशन और द लोस्ट हैंड जैसी शॉट फिल्मों के जरिए डायरेक्शन की शुरुआत की और आज बड़े प्रोडक्शन हाउस में सहायक निर्देशक के रूप में अपना करियर चमका रहे हैं। अभिषेक होली की छुट्टी में आया था। पर, लॉकडाउन के कारण गांव में ही फंस गए। अभिषेक ने बताया कि अभी घर पर ही रहकर मैथिली की पौराणिक कथाओं और फिल्मों पर रिसर्च कर रहा हूं। आगे भविष्य में मैथिली फिल्म इंडस्ट्री में अपना योगदान देंगे।
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