पीड़ित मानव की सेवा असली शिक्षा : प्रो. रामजी ¨सह
शिक्षा वह है जो शारीरिक और मानसिक व्याधियों से मुक्त करे।
दरभंगा। शिक्षा वह है जो शारीरिक और मानसिक व्याधियों से मुक्त करे। सकीर्णता की भावना से हट कर पीड़ित मानवता की सेवा ही असली शिक्षा है। मानव सेवा समिति एवं दरभंगा सेंट्रल स्कूल की ओर से आयोजित सेमिनार में प्रसिद्ध गांधीवादी ¨चतक डॉ. रामजी ¨सह ने ये बातें कही। उन्होंने शिक्षा और पीड़ित मानवता विषय पर रविवार को लनामिविवि के जुबली हॉल अपना विचार रखते हुए कहा कि सांसारिक कुभावना को हटा कर सेवा की भावना जगा देना ही शिक्षा का सबसे सुंदर रूप है। जो स्वतंत्र एवं स्वावलंबी होनी चाहिए। इस पर ही राष्ट्र का भविष्य निर्भर करता है। उदघाटन संबोधन में आचार्य सुदर्शन जी महाराज ने कहा कि शिक्षा वही है जो हमें जीना सिखा दे। जो जीवन में प्रेम से समन्वित करे। परिवार, समाज और राष्ट्र के साथ जोड़े। प्रत्येक व्यक्ति को जगने एवं प्रकाशवान बनने से ही इसकी सार्थकता सिद्ध होगी। शिक्षा जीवन को महोत्सव बनाने का काम करती है। काजी मुमताजुल हक ने कहा कि वह शिक्षा किस काम की जो पीड़ित मानवता के काम न आ सके। सुनील शर्मा ने कहा कि जीवन का उद्देश्य ही होता है पीड़ित मानवता की सेवा करना। डॉ. कृष्ण चंद्र ¨सह ने कहा कि शिक्षा से मानवता की भावना जगनी चाहिए। मौनी बाबा ने शिक्षा को अभ्यून्नति से जोड़ने को कहा। स्वागत संबोधन में डॉ. जय शंकर झा ने कहा कि शिक्षा मानवता से परिपूर्ण होनी चाहिए। जो दूसरों के कल्याणार्थ सोचता है वही शिक्षा का पूर्ण अर्थ समझता है। संचालन मित्रनाथ झा एवं धन्यवाद ज्ञापन उज्ज्वल कुमार झा ने किया।