लहेरियासराय स्टेशन बाहर से चकाचक, अंदर खास्ताहाल
जिला मुख्यालय का लहेरियासराय क्षेत्र हृदय स्थली कहलाता है। यह क्षेत्र प्रशासनिक महकमा का राजधानी कहलाता है।
दरभंगा । जिला मुख्यालय का लहेरियासराय क्षेत्र हृदय स्थली कहलाता है। यह क्षेत्र प्रशासनिक महकमा का राजधानी कहलाता है। अधिकांश क्षेत्रों में विकास हुआ है। लेकिन, रेलवे में अभी विकास होना बाकी है। जिले के अंदर दो प्रमुख स्टेशन है। एक दरभंगा तो दूसरा लहेरियासराय। इसमें लहेरियासराय स्टेशन की हालत दयनीय है। इसकी चिता न तो यहां के कर्मियों की है और न ही किसी अधिकारी को। विभाग पूर्ण रूप से खामोश है। जब अधिकारियों का निरीक्षण होता है तो बाहर से चकाचक कर दिया जाता है। लेकिन, हालात अंदर से ठीक-ठाक नहीं है। गंदगी इस स्टेशन का एक हिस्सा बन गया है। हमेशा यात्री गंदगी से बचकर निकलने की कोशिश करते रहते हैं। पूछताछ काउंटर की स्थिति तो सबसे अधिक खराब है। वहां न तो कोई कर्मी रहते हैं और न बोर्ड पर साफ-साफ अंकित कोई जानकारी अंकित रहता है। जानकारी लेने के लिए यात्री काउंटर पर खड़े रहते हैं। हालांकि, अंदर में संबंधित कर्मी का बोर्ड जरूर लगा रहता है। आज के दिनों में भी लंबी दूरी की गई ट्रेनों का यहां ठहराव नहीं है। नतीजा, लहेरियासराय क्षेत्र के लोगों को ट्रेन पकड़ने के लिए अथवा वापसी के लिए दरभंगा स्टेशन ही एक मात्र उपाय बचता है। आजादी काल से पूर्व के इस स्टेशन का आधारभूत संरचना यथावत है। सौंदर्यीकरण की बात तो यहां सपना लग रहा है। बाहरी परिसर में एक गार्डेन बनाया गया है। लेकिन, देखने से लगता ही नहीं है कि वह गार्डेन है। पूरा परिसर गंदगी से भरा है। झंडोत्तोलन स्थल की हालत भी जर्जर है। झंडोत्तोलन के लिए लगाए गए पाइप भी टूटकर झुक चुका है। उस पर भी किसी का ध्यान नहीं है। वर्षों से यहां रैक प्वाइंट बना है। लेकिन, मालगाड़ी से सामान उतारकर सुरक्षित रखने की कोई व्यवस्था नहीं है। जर्जर शेड में ही मजदूर ठहरते हैं और क्षमता से अधिक हुए सामान को खुले आकाश में रख दिया जाता है। यही कारण है कि बारिश में व्यवसायियों को अधिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। मात्र एक प्लेटफार्म के इस स्टेशन पर न तो यात्रियों के बैठने की व्यवस्था है और न ही मोबाइल चार्ज करने के लिए कहीं कोई प्लग लगाया गया है। खुला परिसर रहने के कारण यात्रियों आस-पास काफी संख्या में जानवर भी मंडराते रहते हैं।