बघौनी गांव में पटवन की नहीं है सुविधा, रोजगार को ले पलायन
दरभंगा। बहेड़ी प्रखंड मुख्यालय से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है बघौनी गांव। बावजूद केंद्र व राज्य सरकार की बहुमुखी योजनाओं का लाभ लेने से गांव के लोग अब तक वंचित है।
दरभंगा। बहेड़ी प्रखंड मुख्यालय से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है बघौनी गांव। बावजूद केंद्र व राज्य सरकार की बहुमुखी योजनाओं का लाभ लेने से गांव के लोग अब तक वंचित है। बघौनी गांव के लोग किसान व पशुपालन कर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं। गांव में स्टेट बोर्डिंग नहीं रहने के कारण लोगों को अधिक रेट देकर पटवन कराने को मजबूर है। लोग मवेशी तो पालते है, लेकिन गांव में डेयरी की सुविधा नहीं है। नतीजा, पशुपालक दूध बेचने के लिए भटकने को मजबूर हैं। गांव में अब भी बेरोजगारी का आलम है। किसान मेहनत मजदूरी कर अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए प्रयासरत तो है, लेकिन संसाधनों का अभाव इनके आड़े आ रहा है। शिक्षित बेरोजगार रोजगार के लिए बड़े शहरों का पलायन कर रहे है। जॉब कार्ड रहने के बाद भी काम नहीं मिलने के कारण मजदूर दूसरे शहर चले जाते हैं। उक्त गांव का हाल जानने के लिए दैनिक जागरण की टीम ने गांव की पाती के तहत बघौनी गांव में ग्रामीणों के साथ बैठक की। इसमें ग्रामीणों ने खुलकर अपनी समस्याएं रखी। बैठक में स्थानीय मुखिया जैनेंद्र कुमार सिंह, उप मुखिया शंभू प्रसाद सिंह, अजीत मंडल, प्रोफेसर विमल कांत झा, गोपाल झा, जोगी मंडल, गौतम कुमार, अंजू देवी, फूलन देवी, सोनी देवी, लाल दाय देवी, रंजू देवी, जगतारण देवी आदि मौजूद थे।
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कहते हैं लोग
पंचायत के विकास के लिए दिन रात एक कर में कार्य कर रहा हूं। पंचायत में सात निश्चय योजना से आठ वार्डों में से छह वार्ड का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। बाकी वार्डों का भी कार्य जल्द पूरा कर लिया जाएगा।
जैनेंद्र कुमार सिंह, मुखिया।
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गांव में सरकार की ओर से महिलाओं के लिए ट्रेनिग सेंटर खोलने की आवश्यकता है। ताकि प्रशिक्षण पाकर महिलाएं आत्मनिर्भर बन सके। इससे महिला सशक्तिकरण को बल मिलेगा।
अंजू देवी।
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शिक्षित युवाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था मुहैया करा दी जाए तो युवकों को दूसरे जगह पलायन नहीं करना पड़ेगा। इस ओर ध्यान देने की जरुरत है। तभी गांव और समाज का कल्याण होगा।
प्रो. विमलकांत झा।
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गांव में बैंक के नहीं रहने से किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। खेती छोड़कर दूसरे गांव का सहारा लेना पड़ता है। केसीसी के लिए किसानों को भटकना पड़ रहा है।
शंभू प्रसाद सिंह, उप मुखिया।
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गांव में पशुपालकों की संख्या अधिक है। लेकिन डेयरी की व्यवस्था नहीं है। यदि डेयरी की व्यवस्था हो जाए तो किसान की आमदनी दोगुनी हो जाएगी। किसान उचित मूल्य पर अपना दूध बेच सकेंगे।
बैजनाथ मंडल।
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गांव में स्वास्थ्य केंद्र खुलने से गांव के लोग को काफी सहूलियत होगी। लोगों के बीमार होने पर शहर जाना पड़ता है, जो गांव से 25 किमी की दूरी पर है। ऐसी स्थिति में कई लोग रास्ते में ही दम तोड़ देते है।
गोपाल झा।
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सामाजिक सुरक्षा पेंशन यदि समय से मिल जाए जो वृद्ध को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। पेंशन के लिए वृद्धों को अब भी चक्कर काटना पड़ता है।
अजीत मंडल।
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गांव एक नजर में
जनसंख्या - 6400
मतदाता - 3200
वार्ड - 8
आंगनबाड़ी केंद्र - 6
डाकघर - 1
उत्क्रमित उच्च विद्यालय - 1
प्राथमिक विद्यालय - 2
समुदायिक भवन - 3
पंचायत भवन - 1
मंदिर- 7
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