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प्राच्य विद्या के परिवेश से निकल नंदिनी ने विज्ञान के क्षेत्र में फैलाए पंख

दरभंगा। मिथिला की बेटी नंदिनी ने साबित कर दिया कि इच्छाशक्ति ²ढ़ हो तो परिवेश भी सफलता में बाधक नहीं बन सकती। बचपन से प्राच्य विद्या के परिवेश में पली-बढ़ी नंदिनी ने विज्ञान के क्षेत्र में ऊंची उड़ान भर कर सूबे की छात्राओं को एक नई राह दिखाई है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 Oct 2019 12:44 AM (IST)Updated: Sat, 05 Oct 2019 12:44 AM (IST)
प्राच्य विद्या के परिवेश से निकल नंदिनी ने विज्ञान के क्षेत्र में फैलाए पंख
प्राच्य विद्या के परिवेश से निकल नंदिनी ने विज्ञान के क्षेत्र में फैलाए पंख

दरभंगा। मिथिला की बेटी नंदिनी ने साबित कर दिया कि इच्छाशक्ति ²ढ़ हो तो परिवेश भी सफलता में बाधक नहीं बन सकती। बचपन से प्राच्य विद्या के परिवेश में पली-बढ़ी नंदिनी ने विज्ञान के क्षेत्र में ऊंची उड़ान भर कर सूबे की छात्राओं को एक नई राह दिखाई है। वर्तमान में नंदिनी कलपक्कम स्थित भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम में कार्यरत है। चयन के समय वह पूरे उत्तर भारत से चयनित होने वाली एकमात्र छात्रा थी। इससे पूर्व लनामिविवि से फिजिक्स में पीजी के दौरान ही नंदिनी का चयन इंदिरा गांधी सेंटर फॉर एटॉमिक रिसर्च के समर ट्रेनिग इन फिजिक्स के लिए 2016 में हुआ था। इस ट्रेनिग प्रोग्राम के लिए बिहार से चयनित होने वाली वह पहली छात्रा थी। ट्रेनिग के दौरान नंदिनी ने अपनी प्रतिभा से सबको अचंभित कर दिया था। नंदिनी लनामिविवि के सत्र 2014-16 में पीजी फिजिक्स की टॉपर रह चुकी है और इसके लिए उन्हें गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 2017 में लनामिविवि के दीक्षा समारोह में कुलपति ने अपने अभिभाषण में नंदिनी को विवि का गौरव बता चुके हैं। पिता डॉ. सुरेश्वर झा स्थानीय कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में व्याकरण के वरीय प्राध्यापक हैं। प्राच्य विद्या का परिवेश नंदिनी को विरासत में मिला। लेकिन, साथ ही मिली पूरी आजादी अपने सपनों को साकार करने की। बचपन से ही विज्ञान के क्षेत्र में रूचि रखने वाली नंदिनी ने आखिरकार अपनी लगन व मेहनत से वह कर लिया जो वह चाहती थी। मेधा की धनी नंदिनी 2011 में एमबीबीएस के लिए भी चयनित हुई लेकिन इनका इरादा तो उससे कहीं आगे जाने का था। 2017 में मिथिला विवि के पीआरटी परीक्षा में फिजिक्स विषय से केवल दो छात्र सफल हो सकें, जिनमें एक नंदिनी भी थी। इन्होंने अपने शैक्षणिक जीवन की हर परीक्षा में सफलता का परचम लहराया। नंदिनी के शिक्षक रह चुके पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार मिश्रा कहते हैं कि नामांकन के कुछ दिन बाद ही नंदिनी ने साबित कर दिया कि वो सफलता के नए कीर्तिमान बनाएगी। विज्ञान के क्षेत्र में नंदिनी की उपलब्धियों से उनके परिवार के साथ ही पूरा राज्य गौरवान्वित महसूस कर रहा। नंदिनी ने हर बाधाओं को झेल कर अपनी लगन व मेहनत के बदौलत अपना मुकाम बनाकर छात्राओं को यह संदेश दिया कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में सफलता के शिखर को छू सकती हैं, बस जरूरत है अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहने व उसे पाने के लिए निरंतर प्रयास करने की।

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