मानव को श्रेष्ठ बनाता संगीत : रविभूषण
संगीत मनुष्य को श्रेष्ठ तथा गतिमान बनाता है।
दरभंगा। संगीत मनुष्य को श्रेष्ठ तथा गतिमान बनाता है। इसकी कोई धर्म- संप्रदाय, वर्ग, जाति, ¨लग या क्षेत्र नहीं होता।संगीत हमारे बीच के भेदों को मिटाकर, हमें आपस में जोड़ हमारे जीवन को खुशहाल बनाता है। यह हमारी थकान परेशानी तथा मानसिक तनाव को दूर करने का एक सशक्त जरिया है। संगीत का संबंध हमारी आत्मा से है। जो हमें अंदर से जगाता है। पूरी सृष्टि संगीतमय है। संपूर्ण ब्रह्मांड मे संगीत विहीन कुछ भी नहीं है। शिक्षाविद प्रो. रविभूषण ने सीएम कॉलेज संस्कृत विभाग एवं एपेक्स फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में सामाजिक सदभाव में संगीत की भूमिका विषयक राष्ट्रीय सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में ये बातें कही। उन्होंने कहा कि हमारा जीवन ही संगीतमय है। संगीत हममें मानवीय मूल्यों को जागृत कर वास्तविक मानव बनाने में मदद करता है। संगीत हमें भूलोक में ही परलोक का दर्शन कराता है। हमारी जड़ता को दूर कर हमारी चेतना को विकसित करता है। संगीत का क्षेत्र काफी व्यापक है। यह हमें अनुशासन सिखाता है। संगीत चिकित्सा मानव को स्वस्थ रखने में काफी कारगर सिद्ध हो रहा है। इसकी बदौलत हम सामाजिक सदभाव की स्थापना कर सुखमय जीवन यापन कर सकते हैं। प्रधानाचार्य डॉ. मुस्ताक अहमद ने कहा कि संगीत हमारे जीवन में सांसों की तरह समाहित है। कोई भी संगीत पूरी जमात के लिए होता है।इसके बिना हमारा जीवन अधूरा है। पीजी संगीत एवं नाट्य विभागाध्यक्ष डॉ. लावन्य कीर्ति ¨सह काव्या ने कहा कि संगीत ईश्वर की शक्ति है। जो मन को शांति प्रदान करता है। अध्यक्षता जेएमडीपीएल महिला महाविद्यालय, मधुबनी के प्रधानाचार्य एवं संगीतज्ञ डॉ. उदय नारायण तिवारी ने की। संचालन प्रो. विकास कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन एपेक्स फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. कैलाश कुमार चौधरी ने किया। आगत अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष तथा कार्यक्रम के संयोजक डॉ. आरएन चौरसिया ने किया। कार्यक्रम में 120 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। भाषण- प्रतियोगिता में मानसी पहले, सुधांशु मिश्रा दूसरे, कुमार अनुराग तीसरे, गो¨वद चौधरी चौथे, निशा कुमारी पांचवें,श्रेयसी कुमारी छठा,
मोहित राज सातवें तथा रिचा ने आठवां स्थान हासिल किया।
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