दो अधिकारियों के बीच चल रहे शीतयुद्ध के कारण मिथिला विवि को हो रहा नुकसान
दरभंगा। कोरोना महामारी व बाढ़ आपदा की स्थिति में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दो वरिष्
दरभंगा। कोरोना महामारी व बाढ़ आपदा की स्थिति में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दो वरिष्ठ अधिकारियों के मध्य चल रहे शीतयुद्ध के बीच प्रभारी कुलपति की लालफीताशाही का खामियाजा विश्वविद्यालय के शिक्षकों व शिक्षकेतर कर्मचारियों को उठाना पड़ रहा है। पदाधिकारियों के कर्मचारी विरोधी रवैया मुखर होने के कारण नियमित शिक्षकों व कर्मचारियों के जून माह के वेतन व 39 माह के वेतनांतर मद की बकाया राशि के भुगतान में पहले से ही अनावश्यक विलंब होता रहा है और दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में संविदा पर बहाल किए गए कर्मचारियों सहित और आउटसोर्सिंग कर्मियों के वेतन भुगतान में टोटे खड़े किए जा रहे थे। लेकिन, अब एक नया मामला सामने आया है। इसमें एसबी सिन्हा कमीशन के तहत विश्वविद्यालय सेवा में नियमित रूप से बहाल किए गए शिक्षकों व कर्मियों के वेतन भुगतान पर ग्रहण लगाने की साजिश रची जा रही है। इस मामले को लेकर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के सिडीकेट सदस्यों ने मंगलवार को अनेक सवाल उठाए हैं। विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव व ललित विश्वविद्यालय के सिडीकेट सदस्य डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने विश्वविद्यालय के आला अधिकारियों के काले चिट्ठे खोलते हुए कहा कि इनके बीच चल रहे आपसी अनबन ने विश्वविद्यालय के विकास को बेपटरी कर दिया है। उन्होंने कहा कि एसबी सिन्हा कमीशन के तहत नियुक्त कर्मचारियों का वेतन भुगतान कोई खैरात में नहीं मिल रहा है। बल्कि, इनका वेतन भुगतान माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के आलोक में हो रहा है। पूर्व विधान पार्षद व सिडिकेट सदस्य ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों के बीच चल रहे शीतयुद्ध के बीच प्रभारी कुलपति की चौथे चरण में शिक्षाकर्मियों के विरुद्ध मंशा साफ जाहिर हो रही है। वह पूर्णिया विश्वविद्यालय में लगी आग की लपट मिथिला विश्वविद्यालय में भी कायम करना चाहते हैं। लेकिन, उनकी उम्मीदें यहां कभी नहीं पनपने दी जाएंगी। सिडिकेट के अन्य वरिष्ठ सदस्य डॉ. हरिनारायण सिंह, डॉ. धनेश्वर प्रसाद सिंह व सुजीत कुमार पासवान ने भी विश्वविद्यालय के अधिकारियों के कर्मचारी विरोधी रवैया पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि यदि समय रहते ये अधिकारी नहीं चेते तो इनके विरुद्ध उठने वाले आंदोलन की आग में विश्वविद्यालय का विकास अवरुद्ध हो जाएगा।
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