छठ पर्व सामग्रियोंसे पटा बाजार, बांस निर्मित सामान की कीमतें बढ़ीं
दीपावली होते ही लोक आस्था का महापर्व सूर्य षष्ठी व्रत यानी की छठ पर्व के उपयोग में आने वाले सामान से बाजार में रौनक छाने लगी है।
दरभंगा। दीपावली होते ही लोक आस्था का महापर्व सूर्य षष्ठी व्रत यानी की छठ पर्व के उपयोग में आने वाले सामान से बाजार में रौनक छाने लगी है। छठ व्रत करने लोगों ने इसकी खरीदारी भी शुरू कर दी है। बांस के दामों में हो रही बढ़ोतरी व इसकी आपूर्ति में कमी के कारण व्रत के उपयोग में आने वाला ढकिया, डगड़ी, सुपा, डलिया व कोनिया के दामों में भी वृद्धि हुई है। इससे लोग परेशान हैं। मन्नतों का पर्व कहे जाने वाले छठ पूजा में इन सामान का बड़ा महत्व है।अमीर हो या गरीब, सब बाजारों में बांस के बने इन सामान की खरीदारी करते नजर आ रहे हैं।
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पवित्रता व प्रकृति से निकटता मूल अवधारणा : पं. रामचंद्र
मिथिला में सर्वमान्य विश्वविद्यालय पंचांग के प्रधान संपादक पंडित रामचंद्र झा का कहना है कि जितने भी लोक पर्व हैं उनका मूल आधार पवित्रता व प्रकृति से निकटता है। यही वजह है कि लोक आस्था के महापर्व छठ में मिट्टी व बांस के बर्तनों की प्रधानता है। ये दोनों चीजें प्राकृतिक हैं। मधुर के लिए ईख का उपयोग किया जाता है। यह सब इस कारण होता है ताकि अमीर-गरीब सब इस पर्व में समान रूप से सहभागी हो सकें। मिट्टी के दीप, कोरबा, कोसिया, बांस का ढ़किया, सुपा, कोनिया आदि सर्वत्र व सुगमता से उपलब्ध होते हैं। इन चीजों की प्रधानता के पीछे यही अवधारणा है। पूजा-पाठ में शुद्धता जरूरी होती है, मिलावट के लिए कोई जगह नहीं होती, चाहे बात सामान की हो या फिर श्रद्धा भाव की।
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करीब 10 से 15 लाख की होती बिक्री :
इनका यह भी कहना है कि आज के समय में पीतल का ढकिया, कोनिया व अन्य सामान का प्रचलन होने से भी बांस निर्मित सामग्री की बिक्री में कमी आई है। हालांकि व्रत करने वालों की संख्या में वृद्धि हुई है। इन लोगों ने बताया कि विगत आठ वर्षों से हम लोगों के धंधे को कई अन्य जाति के लोगों ने भी अपनाया है। आंकड़ों पर गौर करें तो बांस निर्मित सामान की कुल बिक्री छठ के अवसर पर केवल जिला मुख्यालय में 10 से 15 लाख रुपये की होती है। लेकिन इस धंधे में अन्य जाति के प्रवेश करने से महादलित समाज के सामने एक बड़ी चुनौती आ गई है।
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11 से शुरू होगा छठ पर्व
चार दिवसीय छठ पर्व का शुभारंभ 11 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ होगा। 12 अक्टूबर को छठ व्रती खरना करेंगे। 13 को संध्याकालीन यानी अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और 14 अक्टूबर को प्रात:कालीन यानी उदयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ ही छठ पर्व का समापन हो जाएगा।
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इनसेट :::::
सामान - वर्तमान दर - गत वर्ष की दर
ढकिया - 160-200 रुपये - 140 रुपये
डगरी - 70 रुपये - 60 रुपये
सुपा - 80 रुपये - 60 रुपये
डलिया - 50 रुपये - 40 रुपये
कोनिया - 60 रुपये - 60 रुपये
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