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मां भगवती स्थान, लदारी

दरभंगा। लदारी गांव स्थित मां दुर्गा की महिमा अपरंपार है। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से पूजा-अर्चना के बाद जो कामना की जाती है वह पूरी होती है। शारदीय नवरात्र के अवसर पर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इसमें लदारी सहित आसपास के गांवों के अतिरिक्त सीतामढ़ी मधुबनी व दरभंगा जिले के विभिन्न प्रखंडों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 12:32 AM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 12:32 AM (IST)
मां भगवती स्थान, लदारी
मां भगवती स्थान, लदारी

दरभंगा। लदारी गांव स्थित मां दुर्गा की महिमा अपरंपार है। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से पूजा-अर्चना के बाद जो कामना की जाती है, वह पूरी होती है। शारदीय नवरात्र के अवसर पर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इसमें लदारी सहित आसपास के गांवों के अतिरिक्त सीतामढ़ी, मधुबनी व दरभंगा जिले के विभिन्न प्रखंडों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

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इतिहास :

मंदिर का निर्माण 43 वर्ष पूर्व कराया गया था। उस समय से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जा रही है। शुरू में फूस की झोपड़ी बनाकर ग्रामीणों ने मां दुर्गा की पूजा अर्चना की। बाद में 2011 में ग्रामीणों के सहयोग से भव्य आकर्षक मंदिर का निर्माण कराया गया। यहां प्रति वर्ष मां दुर्गा की प्रतिमा निर्माण कराकर उसकी विधि पूर्वक पूजा की जाती है। मंदिर पर काफी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। मंदिर के प्रति लोगों की अपार श्रद्धा रहती है। यहां के कई भक्त आज ऊंचे पद पर विराजमान है।

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विशेषता : यहां वैदिक पद्धति से यहां पूजा-अर्चना की जाती है। संध्या आरती व दीप जलाने को मां दुर्गा के भक्तों की भारी भीड़ जुटती है। इस मंदिर में सप्तमी व अष्टमी को महाप्रसाद का आयोजन होता है। अष्टमी व नौवीं को बलि प्रदान की प्रथा है। वैसे यहां सालों भर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना व संध्या आरती होती है। गांव के अलावा दूरदराज से महिलाएं खोइंछा भरने के लिए आती है। मान्यता हैं कि जो भक्त सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा करते हैं, उनकी हर मुराद पूरी होती है।

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मैया की महिमा अपरमपार है। सच्चे मन से जो पूजा करने आते हैं, मैया उनकी हर मुराद पूरी करते हैं। शारदीय नवरात्रि की पूजा श्रद्धा व विश्वास के साथ धूमधाम से की जाती है।

- पंडित शंकर झा, पुजारी

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यहां पहुंचने वाला श्रद्धालु कभी खाली हाथ नहीं लौटता। शारदीय नवरात्रि के मौके पर सप्तमी व अष्टमी को महाप्रसाद और अष्टमी व नवमी को बलि प्रदान होती है। एक हजार से अधिक कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है।

- विनय कुमार मिश्र, सचिव, दुर्गा पूजा समिति

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