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डॉ. आंबेडकर गहन चितन व मनन के फलस्वरूप नारी को मिला सम्मान

दरभंगा। डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती की पूर्व संध्या पर मंगलवार को भारत विकास परिषद्

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 12:25 AM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 12:25 AM (IST)
डॉ. आंबेडकर गहन चितन व मनन के फलस्वरूप नारी को मिला सम्मान
डॉ. आंबेडकर गहन चितन व मनन के फलस्वरूप नारी को मिला सम्मान

दरभंगा। डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती की पूर्व संध्या पर मंगलवार को भारत विकास परिषद् की भारती-मंडल शाखा दरभंगा के तत्वाधान में वेबिनार आयोजित किया गया। भारतीय नारी के उत्थान में आंबेडकर का योगदान विषय पर आयोजित वेबिनार में भारत विकास परिषद की भारती-मंडल शाखा के महिला एवं बाल विकास प्रकल्प की संयोजिका डॉ. अंजू कुमारी ने कहा कि डॉ भीमराव ने नारियों के उत्थान के लिए अनेकानेक कार्य किए। आंबेडकर कालीन समाज में नारियों की स्थिति अत्यंत दयनीय एवं दोयम दर्जे की थी।उन्होंने महसूस किया कि नारी उत्थान के बिना समाज की खुशहाली तथा राष्ट्र की प्रगति असंभव है। वे नारी को आगे बढ़ाने के लिए जीवन भर संघर्षरत रहे। कहा कि आज नारी शिक्षा सहित सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं और पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। नारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए अनेकानेक कानून बनाए गए हैं।

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मुख्य अतिथि के रूप में शाखा के अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा कि अंबेडकर के गहन चितन-मनन के फलस्वरूप ही आज भारतीय नारी को अधिकार, सम्मान और सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं। आंबेडकर ने भारत को ऐसा संविधान दिया है, जिसमें जाति, मत या लिग आदि के आधार पर भेदभाव किए बिना समानता का प्रावधान है। संपूर्ण भारत के लिए समान नागरिक संहिता बनाने की दिशा में कोशिश करने का संकल्प निहित है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. आंबेडकर ने 1929 से ही नारी उत्थान के लिए कार्य प्रारंभ किया।

मुख्य वक्ता के रूप में भारत विकास परिषद के सचिव डॉ. आरएन चौरसिया ने कहा कि डॉ. आंबेडकर विद्वान परिवर्तनकारी नेता, संविधान निर्माता तथा मानवता के पूजारी थे, जिन्होंने समाज में हर तरह की असमानताओं को दूर करने का कार्य किया था।

कोषाध्यक्ष श्रीरमण अग्रवाल ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने भारतीय समाज में नारी को पुन: प्रतिष्ठित करने के उद्देश्य से हिदू कोड बिल प्रस्तुत किया था। कानून मंत्री के रूप में वे नारी की दयनीय व उपेक्षित स्थिति को सुधारने एवं उसे समाज का स्वस्थ व शक्तिशाली अंग बनाने हेतु कानून बनाने का भी प्रयास किया। वेबीनार में ज्योति अग्रवाल,डॉ. प्रेम कुमारी, निर्मला अग्रवाल, प्रेरणा नारायण ने भी विचार व्यक्त किए।


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