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काला गेहूं उपजाकर खतरनाक बीमारियों को दूर करने की दिखाई राह

जिले में गेहूं की नई प्रजाति काले गेहूं की खेती को प्रोत्साहित करने में अधिकारी से लेकर वैज्ञानिक तक जुट गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 12:44 AM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 06:25 AM (IST)
काला गेहूं उपजाकर खतरनाक बीमारियों को दूर करने की दिखाई राह
काला गेहूं उपजाकर खतरनाक बीमारियों को दूर करने की दिखाई राह

दरभंगा । जिले में गेहूं की नई प्रजाति काले गेहूं की खेती को प्रोत्साहित करने में अधिकारी से लेकर वैज्ञानिक तक जुट गए हैं। मध्यप्रदेश के दोपालपुर के एक किसान ने नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोजॉजी की मदद से इसका पहले उत्पादन किया था। लेकिन, अब जिले के बहेड़ी प्रखंड के जखड़ा गांव निवासी रामकुमार सिंह के पुत्र मुकेश कुमार ने इसका उत्पादन कर पूरे मिथिलांचल के किसानों को खेती करने की नई राह दिखाई है। चिकित्सकों की माने तो गेहूं की यह नई प्रजाति कई असाध्य बीमारी में लाभदायक है। तनाव, मोटापा आदि बीमारी में यह काफी लाभदायक साबित हो रहा है। काला गेहूं तनाव जैसी भयानक बीमारी को समाप्त करने के लिए एक आशा की किरण लेकर आया है। वैज्ञानिकों के शोध में तनाव से पीड़ित व्यक्ति पर इसके प्रयोग के बहुत ही सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। वहीं आज के समय में जब अमेरिका जैसे देशों की बहुत बड़ी आबादी मोटापे जैसी बीमारी से परेशान हैं ऐसे में गेहूं की यह प्रजाति शोध में काफी उत्साहवद्धक परिणाम दे रही है। इसके अलावा शोध में कैंसर व मधुमेह जैसी खतरनाक बीमारी पर भी सकारात्मक परिणाम आएं है। मधुमेह जैसी बीमारी के इलाज में सकारात्मक परिणाम लोगो को उम्मीद की नई किरण दे रहे हैं। साथ ही ह्दय रोग जैसी संबंधी बीमारी पर भी शोध में गेहूं के इस प्रजाति ने सार्थक नतीजा दिखाया है। इन खतरनाक बीमारियों में भोजन के तौर पर यह बेहतर विकल्प है। जिले में पहली बार बहेड़ी प्रखंड के जखड़ा गांव निवासी रामकुमार सिंह के पुत्र मुकेश कुमार ने गेहूं की इस प्रजाति का उत्पादन कर नई मिसाल पेश कर दिया है। मुकेश ने बताया कि गेहूं का काला रंग इसमें अधिक मात्रा में पाए जाने वाले एंथोसाइनिन की वजह से है। इसमें जिक व आयरन की अधिक मात्रा पाई जाती है। उन्होंने इसका बीज अनुसंधान केंद्र से ऑनलाइन मंगवाया था। उन्होंने दो कठ्ठा में इसकी खेती कर 150 केजी गेहूं उत्पादन कर फूले नहीं समा रहे हैं। बताया कि अधिक उपज के साथ असाध्य बीमारी को दूर करने में यह काफी लाभदायक है।

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जिला कृषि पदाधिकारी समीर कुमार ने बताया कि उन्हें भी इसकी सूचना मिली है। वैज्ञानिक व अनुसंधान केंद्र से जानकारी लेने के उपरांत किसानों को इसके उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।


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