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बाबा कुशेश्वरस्थान को नहीं मिला पर्यटन स्थल का दर्जा

चुनाव के वक्त विकास की बात होती है तो लोग सीधे तौर पर अपनी समस्याओं को रखते हैं। लेकिन भगवान किसके आगे समस्याएं रखते। कुशेश्वरस्थान विधानसभा क्षेत्र के अतिमहत्वपूर्ण और मिथिला के लिए बाबाधाम भोलेनाथ के धाम कुशेश्वरस्थान को पर्यटनस्थल बनाने का दर्जा मिलने में देरी लोगों के जेहन में दर्द देती है। स्थानीय लोग कहते हैं बाबा कुशेश्वरस्थान से आशीर्वाद लेकर कई लोग आगे बढ़ गए। लेकिन विकास उसी स्थान का नहीं हो सका।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 01:27 AM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 01:27 AM (IST)
बाबा कुशेश्वरस्थान को नहीं मिला पर्यटन स्थल का दर्जा
बाबा कुशेश्वरस्थान को नहीं मिला पर्यटन स्थल का दर्जा

दरभंगा । चुनाव के वक्त विकास की बात होती है तो लोग सीधे तौर पर अपनी समस्याओं को रखते हैं। लेकिन, भगवान किसके आगे समस्याएं रखते। कुशेश्वरस्थान विधानसभा क्षेत्र के अतिमहत्वपूर्ण और मिथिला के लिए बाबाधाम भोलेनाथ के धाम कुशेश्वरस्थान को पर्यटनस्थल बनाने का दर्जा मिलने में देरी लोगों के जेहन में दर्द देती है। स्थानीय लोग कहते हैं बाबा कुशेश्वरस्थान से आशीर्वाद लेकर कई लोग आगे बढ़ गए। लेकिन, विकास उसी स्थान का नहीं हो सका।

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यहां के जनप्रतिनिधियों को कुशेश्वरस्थान को पर्यटन स्थल बनाने का मुद्दा केवल चुनाव के समय ही याद आता है। चुनाव के बाद वे इसे भूल जाते हैं। इस बार के चुनाव में एक बार फिर यह विषय बड़ा मुद्दा के रूप में सामने आया है।

दुनियाभर से आते है लोग, मेहमान पंछियों को भी भाता है इलाका बताते हैं कि बाबा कुशेश्वरनाथ को दर्शन के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु सालों भर आते हैं। इसके अलावा कुशेश्वरस्थान के आसपास के चौर में हर साल जाड़े के समय विदेशों से बड़ी संख्या में रंग बिरंगे मेहमान पक्षी भी आते हैं। जानकारी के अनुसार यहां इन पक्षियों का आना 1857 से शुरू हुआ। यह सिलसिला लगातार जारी है। खासकर शरद ऋतु में यहां के जल सतहों पर रंग बिरंगे पक्षियों की मनमोहक छटा किसी पर्यटक को लुभाने के लिए पर्याप्त है।

1995 में हुई थी पक्षी विहार की घोषणा

बताते चलें कि वर्ष 1995 में कुशेश्वरस्थान को पक्षी विहार घोषित होने के बाद यहां के लोगों में रोजगार की संभावनाएं जगी। लेकिन 25 वर्ष गुजर जाने के बाद भी इस ओर किसी भी जनप्रतिनिधि ने ध्यान नहीं दिया। नहीं राज्य सरकार ही कोई ठोस कदम उठा सकी। पक्षी विहार घोषित होने के बाद शिवगंगा घाट पर लाखों रुपए की लागत से वाच टावर का निर्माण किया गया। ताकि इस वाच टावर पर चढ़ कर पर्यटक यहां के चौर में कलरव करते मेहमान पक्षियों को देख सके। लेकिन, कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड व अंचल कार्यालय के लिए इस वाच टावर को बाद में सुरक्षित कर दिया गया। जानकारों की मानें तो वर्ड सेंचुरी घोषित होने के बाद यहां के चौर के 1800 हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण की घोषणा भी की गई। वनस्पति विज्ञान के विद्वान डॉ. विद्यानाथ झा सहित कई विद्वान बताते हैं कि कुशेश्वरस्थान को अगर पर्यटनस्थल बनाया जाए तो क्षेत्र का चहुमुखी विकास होगा।

पर्यटनस्थल का दर्जा मिलने से बढ़ेगा रोजगार कुशेश्वरस्थान के पर्यटनस्थल के रूप में विकसित होने के साथ ही इस क्षेत्र में व्याप्त गरीबी एवं बेरोजगारी की समस्या बहुत हद तक दूर हो सकती है। इलाका विकास की राह पर होगा।

अखिलेंद्र कुमार सिंह, बड़गांव कुशेश्वरस्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के मामले में यहां के जनप्रतिनिधि उदासीन है। जिसके कारण यहां के लिए बनी महत्वपूर्ण योजना सरकारी फाइलों में धूल फांक रही है।

अशोक कुमार यादव, सिमराहा यह क्षेत्र कृषि प्रधान है। हर साल बाढ़ आने से यहां के किसानों को सिर्फ एक मात्र रब्बी की फसल से ही संतोष करना पड़ता है। अगर यह क्षेत्र पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा तो यहां रोजगार के अवसर मिलेंगे और यहां के किसान खुशहाल होंगे।

पप्पू सिंह, मझिगाम।

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