डांडिया ::: कांटा लगा, हाय लगा.. पर झूमे श्रोता
दरभंगा। कार्तिक महीना शरद ऋतु की आमद से पूर्व सूरमई हो रही शाम में बुधवार को दैनिक जागरण के तत्वावधान में आयोजित डांडिया नाइट में उम्र का भेद मिट गया। तनाव भरे जीवन से ऊब चुके लोग अपने अंदर उमंग की नई खुराक भरने के लिए इस शाम का लुत्फ उठाने के लिए इस बार नए इरादे से आए थे।
दरभंगा। कार्तिक महीना शरद ऋतु की आमद से पूर्व सूरमई हो रही शाम में बुधवार को दैनिक जागरण के तत्वावधान में आयोजित डांडिया नाइट में उम्र का भेद मिट गया। तनाव भरे जीवन से ऊब चुके लोग अपने अंदर उमंग की नई खुराक भरने के लिए इस शाम का लुत्फ उठाने के लिए इस बार नए इरादे से आए थे। वैसे तो आनंदित होने आए बच्चे, युवा व बूढ़े सबके कदम एक साथ थिरक उठे। लालबाग लक्ष्मेश्वर सिंह परिसर लाइब्रेरी के भीतर जितनी युगल जोड़ियां इस ऐतिहासिक शाम की भागीदार बन रही थी, कमोबेश उतनी ही जोड़ियां प्रवेश द्वार पर जगह पाने की जद्दोजहद कर रही थी। बूढ़े और बच्चे तो अलग-अलग परिधान में आए लेकिन युगल तो डांडिया के निर्धारित परिधान में ही पहुंचे थे। अब तक रूपहले पर्दे पर जिन्हें देखने वाले उन सिनेस्टार के साथ डांडिया करने को मचल रहे बेताब युगल की बेकरारी तो देखने वाली थी। लेकिन, जैसे ही प्रतीक्षा की घड़ियां समाप्त हुई, संगीत की मधुर धुन ने भीड़ पर डांडिया का ऐसा खुमार बरसाया कि सतरंगी लाइट और भव्य सजावट का आकर्षण जैसे शर्माने लगा। शिप्रा ने मिक्स डांडिया गीत की सुरीली धुन जैसे ही छेड़ी, मजमे में पीछे बैठी बालाएं तक थिरक उठी। ढ़ोल बाजे-ढ़ोल बाजे कि ढमढम बाजे ढ़ोल की धुन पर थिरक रही भीड़ में से बालाओं को जब आगे का मंच मिला तो उनका उत्साह चरम पर पहुंच गया। इसके बाद तो वॉलीबुड एक्ट्रेस शेफाली के साथ हो तेरी आंखों का काजल.. जैसे गीतों पर तो उनके साथ ताल और सुर का ऐसा संगम बैठाया कि हसीन शाम कब रात में बदल गई किसी को पता ही नहीं चला।