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बेटों की आकांक्षा बेटियों से ज्यादा, इस सोच को बदलना जरूरी

दरभंगा । राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर गुरुवार को समाहरणालय स्थित अंबेदकर सभागार में डीएम डॉ. चंद

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 11:43 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 11:43 PM (IST)
बेटों की आकांक्षा बेटियों से ज्यादा, इस सोच को बदलना जरूरी
बेटों की आकांक्षा बेटियों से ज्यादा, इस सोच को बदलना जरूरी

दरभंगा । राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर गुरुवार को समाहरणालय स्थित अंबेदकर सभागार में डीएम डॉ. चंद्रशेखर ¨सह की अध्यक्षता में कार्यशाला-सह-संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिलाधिकारी ने द्वीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सभा को संबोधित करते जिलाधिकारी ने कहा कि आधुनिक समय में भी जन्म से लेकर जीवन पर्यंत महिलाओं को भेद-भाव झेलना पड़ता है। बालिका दिवस मूलत: इस भेदभाव की परंपरा में कितना सुधार हुआ है, इसको लेकर एक समीक्षा के लिए मनाया जाता है। कहा कि बेटियां बेटों से बढ़कर अपने माता-पिता और परिवार को संभालती है। विवाह के बाद भी उसका लगाव अपने माता-पिता से कभी कम नही होता। हमारे समाज में बेटों की आकांक्षा बेटियों से ज्यादा होती है। इस सोच में बदलाव की जरूरत है। सहायक निदेशक, बाल संरक्षण इकाई रविशंकर तिवारी ने कहा कि बिहार सरकार ने कन्या उत्थान योजना, कन्या विवाह योजना तथा महिला हेल्पलाइन के माध्यम से बच्चियों एवं महिलाओं के संरक्षण के लिए विशेष प्रबंध किए है। मौके पर महिला हेल्पलाइन की परियोजना प्रबंधक अजमातुन निशा, जिला अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी मो. वशीम अहमद, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी अलका आम्रपाली, चाइल्ड लाइन की अराधना, बाल विकास पदाधिकारी, महिला पर्यवेक्षिका आदि मौजूद थी। इसके बाद जिलाधिकारी ने राष्ट्रीय बालिका दिवस पर आयोजित जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

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