रमजान के दिन और रात दोनों होते रोशन
दरभंगा। रमजान उल मुबारक महीने का दिन और रात दोनों अहम है। दिन में रोजे के साथ इबादत का दर्जा है तो रात में इबादत का दर्जा उससे भी ज्यादा है।
दरभंगा। रमजान उल मुबारक महीने का दिन और रात दोनों अहम है। दिन में रोजे के साथ इबादत का दर्जा है तो रात में इबादत का दर्जा उससे भी ज्यादा है। दोनों समय इबादत करने का सवाब इतना है जितना कि साल भर इबादत करने का भी नहीं हो। इसीलिए रमजान आया है। उसकी बरकत और फजीलत का लाभ हम तमाम लोगों को उठा लेना चाहिए। पता नहीं अगले साल का रमजान किसको नसीब हो या नहीं हो। किलाघाट शाही जामा मस्जिद के इमाम मौलाना वारिस अली ने उक्त बातें कहीं हैं। उन्होंने कहा कि अल्लाह ताला इस माह में एक नेकी का 70 गुना अधिक सवाब दिया है। रमजान की अजमत को देखते हुए हमको चाहिए कि हम इस महीने में गरीबों की ज्यादा से ज्यादा मदद करें। जो लोग मजबूर हैं बेसहारा हैं उनको हर रूप में मदद करना हमारा फर्ज बनता है। गरीबों की मदद के ²ष्टिकोण से ही जकात निकालने का हुक्म दिया गया है, जिसको भी अल्लाह पाक ने हैसियत दी है वह अपने धन का ढाई प्रतिशत धन गरीबों को देने के लिए निकाल दें। इस महीने की जो सबसे बड़ी फजीलत है वह यह है कि अल्लाह ताला अपने रोजेदार बंधुओं पर खास करम फरमाता है। शैतान कैद कर दिए जाते हैं। लोग गुनाहों से बचते हैं और अच्छा काम तथा एक दूसरे से बेहतर सलूक करने की कोशिश करते हैं। कहा कि महामारी के साए में रोजेदार बंदा रोजा रख रहा है। इसलिए यह हम सबका फर्ज बन जाता है कि हम लॉकडॉउन का पालन करें। अपने घर से ही इबादत करें। इफ्तार और सेहरी में भी शारीरिक दूरी का पालन करें। कोई ऐसा काम नहीं करें जिससे कि महामारी को फैलने का मौका मिले।
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