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भवन बनकर तैयार, चिकित्सक भी बहाल, फिर भी नहीं शुरू हो सका अस्पताल

दरभंगा मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में बनकर तैयार उत्तर बिहार का पहला सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल मरीजों के लिए नहीं चालू किया जा सका। करीब 150 करोड़ की लागत से बने अस्पताल भवन में चार विभागों को शुरू करने की प्रक्रिया भी करीब-करीब पूरी की जा चुकी है। चिकित्सक बहाल हो चुके हैं। बस चंद जरूरी प्रक्रिया पूरी कर इसे आरंभ किया जा सकता है। लेकिन संवेदक ने भवन सौंपने की प्रक्रिया ही नहीं शुरू की है। नतीजा देरी हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 12:19 AM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 05:13 AM (IST)
भवन बनकर तैयार, चिकित्सक भी बहाल, फिर भी नहीं शुरू हो सका अस्पताल

दरभंगा । दरभंगा मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में बनकर तैयार उत्तर बिहार का पहला सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल मरीजों के लिए नहीं चालू किया जा सका। करीब 150 करोड़ की लागत से बने अस्पताल भवन में चार विभागों को शुरू करने की प्रक्रिया भी करीब-करीब पूरी की जा चुकी है। चिकित्सक बहाल हो चुके हैं। बस चंद जरूरी प्रक्रिया पूरी कर इसे आरंभ किया जा सकता है। लेकिन, संवेदक ने भवन सौंपने की प्रक्रिया ही नहीं शुरू की है। नतीजा देरी हो रही है।

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तत्काल इन विभागों में शुरू की जा सकती है सेवा

बताया गया है कि नवनिर्मित भव्य अस्पताल भवन में आठ विभाग शुरू किए जाने हैं। इनमें न्यूरोलॉजी, इनफर्टिलिटी, रेडियोथेरेपी, नेफ्रोलॉजी, गैस्ट्रोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी, न्युनेटॉलोजी और कार्डियो वैस्कुलर सर्जरी शामिल हैं। इनमें कुल 82 बेड की व्यवस्था होगी। इनमें से चार विभाग क्रमश: न्योरोलॉजी, न्यूरो सर्जरी, कार्डियोलॉजी एवं न्यूनेट्रोलॉजी के लिए चिकित्सक आदि की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। ऐसे में कभी भी इसे शुरू किया जा सकता है। एक साल पहले हो चुकी मशीनों की आपूर्ति, जंग लगने का खतरा

बताते हैं कि 65 करोड़ की लागत से अस्पताल के लिए अत्याधुनिक मशीनों की आपूर्ति के एक साल पहले हो चुकी है। इस बीच अस्पताल शुरू नहीं होने के कारण करोड़ों की मशीनें इधर-उधर रखी गईं हैं। उनका लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। जानकार बताते हैं कि यदि समय रहते मशीनों को नहीं देखा गया तो जंग लगकर खराब हो सकती हैं। कई मशीनें नव निर्मित केंद्रीय पुस्तकालय में रखी गईं हैं। जानकार बताते हैं कि इनकी आपूर्ति जर्मनी, स्वीटजरलैंड, चीन समेत कई अन्य देशों से हुई है।

----------------------- भवन निर्माण में देरी के लिए लग चुकी है संवेदक को फटकार

याद रहे कि केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने जनवरी 2020 में अस्पताल के निर्माण में हो रही देरी को लेकर भवन निर्माण एजेंसी को कड़ी फटकार लगाई थी। केंद्रीय टीम से लेकर अन्य अधिकारियों ने भी फरवरी 2020 में नवनिर्मित भवन को सौंपने के सख्त निर्देश दिए थे। भवन निर्माणकर्ता की लेटलतीफी और उसे सौंपने की प्रक्रिया को लेकर हुई देरी ने इसके उद्घाटन पर ग्रहण लगा दिया।

2014 से चल रहा निर्माण

याद रहे कि 2014 से इस भवन का निर्माण चल रहा है। अस्पताल को शुरू करने के लिए 150 करोड़ राशि आवंटित है। इसमें 85 करोड़ भवन के निर्माण और 65 करोड़ रुपये मशीन उपकरण पर खर्च किए जा चुके हैं। इस भवन के निर्माण का ठेका एचएल लिमिटेड को मिला है। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तत्कालीन निदेशक संजीव चड्ढा ने वर्ष 2011 में डीएमसएच समेत अन्य राज्यों के अपग्रेडेशन करने का आदेश जारी किया था। अस्पताल के निर्माणकर्ता को ही पांच साल तक इस भवन समेत अन्य सामाग्री का मेंटेनेंस करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसमें अत्याधुनिक मशीन उपकरण का भी रखरखाव शामिल है। -----------------------

भवन नहीं मिलने के कारण हुई देरी : प्राचार्य

डॉ. एचएन झा ने बताया कि भवन निर्माणकर्ता ने समय पर अस्पताल के भवन को नही सौपने के कारण इसे समय पर चालू नही किया जा सका। इधर, 65 करोड़ की लागत से मशीन उपकरण की आपूर्ति कई माह पहले हो चुकी है। आपूर्ति की गई नए मशीन उपकरण का रख रखाव ठीक तरह से किया गया है। -


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