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संस्कृत के जाने माने कई दिग्गज जुटे

दरभंगा। 10 वें अहिल्या-गौतम राजकीय महोत्सव के तीसरे दिन शुक्रवार को संध्या चार बजे के करीब अहिल्या गौतम प्रसंग पर चर्चा करने के लिए आपसास के जिले के संस्कृत के जाने माने कई दिग्गज विद्वान जुटे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 12:42 AM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 06:42 AM (IST)
संस्कृत के जाने माने कई दिग्गज जुटे
संस्कृत के जाने माने कई दिग्गज जुटे

दरभंगा। 10 वें अहिल्या-गौतम राजकीय महोत्सव के तीसरे दिन शुक्रवार को संध्या चार बजे के करीब अहिल्या गौतम प्रसंग पर चर्चा करने के लिए आपसास के जिले के संस्कृत के जाने माने कई दिग्गज विद्वान जुटे। इस दौरान सभी वक्ताओं ने अहिल्या-गौतम प्रसंग पर उपस्थित श्रोताओं को विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम का उदघाटन संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के पूर्व कुलपति डॉ. देवनारायण झा, संस्कृत की विद्वान डॉ. संगीता अग्रवाल, सीओ सह न्यास के सचिव अनिल कुमार मिश्र, विधायक जीवेश कुमार, प्रो. संजीव कुमार झा, डॉ. राजेश्वर पासवान ने सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। स्वागत गान दीपक कुमार झा ने गाया। न्यास के अध्यक्ष डॉ. कवीश्वर ठाकुर की अध्यक्षता व न्यासी डॉ. जयशंकर झा के संचालन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करती हुई डॉ. संगीता अग्रवाल ने कहा कि सनातन धर्म के प्रति लोगों में विपरीत धारणा महर्षि गौतम व माता अहिल्या के प्रसंग को आधार मानकर बताया जाता है। गैर सनातनी कहते है कि जिस धर्म में इस तरह होता है, उसकी स्वीकृति कैसे होगी। उन्होंने कहा कि किसी भी घटना के पीछे दो पहलू होते है, जिसमें एक साकारात्मक व दूसरा नाकारात्मक होता है। उन्होंने कहा कि हमें साकारात्मक पहलू पर विचार करना चाहिए। इस तरह के अपराध करने वाले देव ही क्यों न हो ,अपराध का दंड मिलता ही है व इसके लिए श्रापित होना ही पड़ता है। इस दौरान उन्होंने महर्षि बाल्मीकि कृत रामायण व तुलसी दास जी महाराज द्वारा रचित रामायण में कुछ अंतर होने की बात कहीं। पूर्व कुलपति डॉ. देवनारायण झा ने वेद व सनातन धर्म पर विस्तार से अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि वेदों में मिथिला के बखान है, जिसमे गौतम के न्याय शास्त्र की विस्तृत चर्चा है। जिस धरती से न्याय शास्त्र की गंगोत्री निकली, उस धरती पर न्याय शास्त्र के अन्वेषण एवं उसके सु²ढ़ीकरण पर आज तक किसी ने ध्यान नही दिया। उन्होंने गौतम ऋषि को न्याय शास्त्र के महान प्रणेता बताते हुए सिर्फ गौतम और अहिल्या के आराधना की चर्चा न करते हुए उनके न्याय शास्त्र का बखान करने का अनुरोध किया।

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